Kanpur में नवीन मार्केट के व्यापारी बोले- निर्माण कार्यों ने छीन ली रौनक, कारोबार पूरी तरह चौपट, दुकानें हुईं धूल-धूसरित
कानपुर, अमृत विचार। शहर की शान कहे जाने वाले नवीन मार्केट को पहले सुंदरीकरण कार्य फिर कोरोना और मेट्रो निर्माण ने ऐसे गहरे जख्म दिए कि सारी रौनक चली गई और पटरी से उतरा कारोबार आज तक कराह रहा है। बाजार की सारी चमक को वर्ष 2016 से शुरू हुए निर्माण कार्य ने धूल-धूसरित कर दिया है।
इसके चलते कभी ग्राहकों से गुलजार रहने वाला यह बाजार अब अपनी किस्मत को कोस रहा है। दुकानदारों का कहना है कि बीते आठ साल के नरक से अधिकतर ग्राहक दूसरी बाजारों का रुख कर चुके हैं। बाजार पूरी तरह लड़खड़ा चुकी है, जिसे उबारना अब बेहद मुश्किल काम हो गया है।
ढाई दशक से लड़ रहे हक की लड़ाई
शुक्रवार को नवीन मार्केट के व्यापारियों ने मालिकाना हक का मुद्दा मुखरता से उठाया। उन्होंने कहा कि 24 साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है। दुकानों का मालिकाना हक नहीं मिलने के कारण बाजार में न तो अब तक कोई बड़ा ब्रांड आया है और न ही यहां पर बैंकों ने अपने एटीएम लगाए हैं।
नवीन मार्केट शॉप कीपर एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनय अरोड़ा, महामंत्री सरताज अहमद, मंत्री मोहम्मद परवेज व उपाध्यक्ष सोना गोपलानी ने बताया कि नवीन मार्केट वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई थी। इस समय बाजार में 550 दुकानें हैं। लेकिन यहां इतनी समस्याएं हैं कि दुकानदार और खरीदार दोनों परेशान हैं।
सिर्फ 181 को मिला मालिकाना हक, बाकी भर रहे लोन की किश्त
व्यापारी वर्ष 2000 में आए निष्प्रयोजन कानून के बाद से दुकानों के मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। तमाम संघर्ष के बाद वर्ष 2003 में 181 दुकानों को मालिकाना हक मिला। नगर निगम ने तय किया कि चरणबद्ध तरीके से दुकानदारों की रजिस्ट्री कराई जाएगी। 55 दुकानदारों की दूसरे चरण में रजिस्ट्री होनी थी, जो आज तक नहीं हो पाई है।
दुकानदारों ने रजिस्ट्री कराने के लिए कर्ज ले लिया था, उसकी किश्तें अब तक जमा कर रहे हैं। मालिकाना हक के लिए जिले से लेकर शासन तक हर ओर गुहार लगाई जा चुकी है। वर्ष 2012 से नामांतरण भी बंद है। इस मुद्दे पर कई बार व्यापारी नगर निगम में अपनी बात रख चुके हैं। लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया है।
कोई बड़ा ब्रांड यहां आया नहीं, बैंकों ने एटीएम भी नहीं लगाए
व्यापारी जीतू लाल लालवानी, प्रदीप कोहली, जुगल अरोड़ा, नरेश भगतानी ने बताया कि मालिकाना हक न मिलने से उन लोगों को रोज परेशानी का सामना करना पड़ता है। रजिस्ट्री न होने की वजह से शहर की पॉश बाजार होने के बावजूद भी आज तक कोई भी बड़ा ब्रांड चाहकर भी बाजार में नहीं आ सका है। इसी कारण शहर की यह अकेली बाजार है जहां पर एक भी बैंक का एटीएम नहीं लगा है। रजिस्ट्री न होने के चलते इन सब सुविधाओं के लिए कोई कारोबारी अपनी जमीन नहीं दे सकता है।
नगर निगम रखरखाव नहीं करता, महिलाओं का शौचालय तक नहीं
व्यापारियों ने बताया कि वे लोग लगातार किराया दे रहे हैं। इसके बावजूद नगर निगम बाजार का कोई रखरखाव नहीं करता है। बाजार में बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं, लेकिन उनके लिए शौचालय तक की सुविधा नहीं है। बाजार में सिर्फ एक शौचालय है पर वह इतना गंदा रहता है कि कोई उसके पास से दुर्गंध की वजह से गुजर तक नहीं सकता।
इसके अलावा बाजार के गोदाम और दुकानों को व्यापारी खुद के रुपयों से दुरुस्त कराते हैं। इसके लिए भी नगर निगम से यह तक कहा गया कि विभाग व्यवस्था करा दे, व्यापारी खुद ही उसे संभाल लेंगे। बावजूद इसके आज तक बाजार में मूलभूत सुविधाओं का टोटा पड़ा है।
सुंदरीकरण के लिए बनाए चबूतरों पर अग्निशमन जता चुका आपत्ति
सुंदरीकरण के नाम पर मार्केट के बीच में जो स्टैंड (चबूतरे) बनाए गए हैं, उनसे व्यापारियों के मुताबिक कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इन चबूतरों को लेकर अग्निशमन विभाग के अधिकारी आपत्ति जता चुके हैं।
बाजार के निरीक्षण के दौरान उन्होंने व्यापारियों से कहा था कि यदि कभी अग्निकांड जैसी घटना होती है तो दमकल की गाड़ियों को इन चबूतरों के कारण बाजार के भीतर पहुंचने में भारी दिक्कत हो सकती है। व्यापारियों का यह भी कहना है कि इन चबूतरों के कारण बाजार में अराजक तत्वों का कब्जा होता जा रहा है। इसलिए इन्हें हटाए जाने की जरूरत है।
पार्किंग सुविधा नहीं, मल्टी स्टोरी पार्किंग से नहीं जोड़ा
व्यापारियों की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि स्थापना से आज तक बाजार पार्किंग की समस्या से जूझ रहा है। सुविधा के लिए परेड मैदान में मल्टीस्टोरी पार्किंग बनाई गई है। निर्माण के दौरान बताया गया था कि इस पार्किंग का जुड़ाव मार्केट से भूतल या उपरिगामी पुल के जरिए किया जाएगा।
लेकिन इस योजना पर आज तक काम नहीं होने से बाजार आने वाले खरीदार पार्किंग की समस्या से परेशान रहते हैं। वाहन परेड मैदान पर पार्क कर सड़क पार करके बाजार आना दुष्कर कार्य है। इसके कारण खरीदार वाहन खड़े करने की समस्या से परेशान रहते हैं। पार्किंग समस्या का समाधान न होने से तमाम खरीदार दूसरी बाजारों का रुख कर लेते हैं।
ऑनलाइन बाजार ने भी बढ़ाई परेशानी
नवीन मार्केट के व्यापारियों ने ऑनलाइन बाजार को बड़ी मुसीबत बताया। उनका कहना है कि कोरोनाकाल के बाद बढ़ा ऑनलाइन बाजार उनके कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। ऑनलाइन खरीदारी के चलते बाजार के कारोबार पर 40 फीसदी तक का असर पड़ा है।