अमरोहा : मांसाहारी भोजन लाने पर स्कूल से निकाले गए बच्चों को दिलाया जाए दाखिला, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम को दिया आदेश  

अमरोहा : मांसाहारी भोजन लाने पर स्कूल से निकाले गए बच्चों को दिलाया जाए दाखिला, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम को दिया आदेश  

अमरोहा, अमृत विचार। अमरोहा शहर स्थित हिंटल कॉन्वेंट स्कूल में मांसाहारी भोजन लाने के आरोप में निकाले गए नाबालिग तीन बच्चों के शिक्षा के अधिकार को संरक्षित करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप किया है। हाईकोर्ट ने डीएम को दो सप्ताह के भीतर बच्चों का दूसरे स्कूल में दाखिला दिलवाने का आदेश दिया है। दाखिला नहीं होने पर 6 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई में जिलाधिकारी को कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
 

शहर में जोया रोड स्थित हिल्टन कॉन्वेंट स्कूल में पांच सितंबर को शहर में आवास विकास कॉलोनी निवासी कक्षा-3 के छात्र रिहान के टिफिन में नॉनवेज मिलने पर उसका नाम काटने का मामला सामने आया था। छात्र की मां सबरा के अनुसार, रिहान को दो भाई-बहनों के साथ स्कूल के प्रिंसिपल ने निष्कासित कर दिया था। इसके बाद वह स्कूल पहुंची तो प्रधानाचार्य से उनकी नोकझोंक हुई थी। छात्र की मां ने बेटे को बंधक बनाने और उसकी पिटाई करने का आरोप लगाया था। उधर, प्रिंसिपल ने रिहान की परवरिश पर भी सवाल उठाए थे। बच्चे ने अपने सहपाठियों से कहा था कि वह उन्हें मांसाहारी भोजन खिलाकर इस्लाम में परिवर्तित कर देगा। इस घटना का एक वीडियो वायरल हुआ था।

हिल्टन स्कूल में नॉनवेज प्रकरण ने तूल पकड़ लिया था। यह मामला शासन तक पहुंचा तो प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा था। इसके बाद डीआईओएस कार्यालय में पुलिस-प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूल प्रबंधन और छात्र के परिजनों को बातचीत के लिए बुलाया था। दोनों पक्षों के बीच वार्ता हुई। इसमें छात्र की मां ने कुछ शर्तें रखी थीं। इनमें उनके तीनों बच्चों की फीस माफ करना और बच्चों को दूसरे स्कूल में दाखिला करना शामिल था। इस संबंध में बाल कल्याण समिति ने प्रधानाचार्य को नोटिस भेजकर तीन दिन के भीतर जवाब मांगा था। जबकि शासन स्तर से पूरे प्रकरण की जांच मुरादाबाद के डीएम को सौंपी गई थी। लेकिन समिति ने प्रिंसिपल को क्लीन चिट दे दी थी।

सिर्फ उनके द्वारा इस्तेमाल की गई अनुचित भाषा के लिए उन्हें फटकार लगाई। इसके बाद छात्र की मां सबरा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने नाबालिग बच्चों की मां सबरा की दाखिल याचिका पर सुनवाई की। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि स्कूल प्रशासन के भेदभावपूर्ण आचरण ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 और नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 5 और 6 के तहत याचियों के अधिकारों का उल्लंघन किया है। पीठ ने अमरोहा डीएम को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करें कि तीनों बच्चों को 2 सप्ताह के भीतर किसी अन्य सीबीएसई से संबद्ध स्कूल में दाखिला दिलाया जाएं। ऐसा न करने पर डीएम को अगली सुनवाई (6 जनवरी) को उपस्थित होना होगा।

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