मुरादाबाद के थिरकुवा की कला के मुरीद रहे उस्ताद जाकिर हुसैन, उस्ताद के दूसरे आवर्तन का रहेगा इंतजार

प्रख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का जाना अपूर्णनीय क्षति, अहमद जान थिरकुवा को मंचों से हमेशा याद करते रहे उस्ताद जाकिर हुसैन

मुरादाबाद के थिरकुवा की कला के मुरीद रहे उस्ताद जाकिर हुसैन, उस्ताद के दूसरे आवर्तन का रहेगा इंतजार

मुरादाबाद। वाह उस्ताद वाह... इस पंक्ति का अर्थ बने प्रख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे। हालांकि, अपनी कला के माध्यम से वे हमेशा अमर रहेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय में संगीत शिक्षक मुरादाबाद के वरिष्ठ कलाकार डॉ. विनीत गोस्वामी कहते हैं कि भारतीय संगीत व भारतीय जीवन दर्शन में कई समानताएं दिखाई देती हैं। आरोह-अवरोह, पकड़, चाल, मुखड़ा और आवर्तन। ये सांगीतिक शब्द जीवन में भी दिखाई देते हैं। संगीत के इन शब्दों को समान रूप से जीवन से भी जोड़ा जा सकता है। इसी परंपरा को समृद्ध बनाकर संगीत के संवाहक रूप में उस्ताद जाकिर हुसैन ने जीवन पर्यंत संगीत की साधना की। उस्ताद का जाना भी जीवन रूपी ताल के आवर्तन के समाप्त हो जाने जैसा है।

उस्ताद के दूसरे आवर्तन का रहेगा इंतजार
भारतीय संगीत की विशेषता है कि कोई भी ताल केवल सम पर ही आकर रुकती या समाप्त होती है। लेकिन, जीवन रूपी ताल के समाप्त होने का कोई निश्चित समय या स्थान नहीं होता। जिस तरह एक आवर्तन के बाद दूसरा, तीसरा आवर्तन आता है वैसे ही जीवन के समाप्त होने के बाद दूसरे आवर्तन का इंतजार रहता है। उस्ताद जाकिर हुसैन के भी इस दूसरे आवर्तन का इंतजार रहेगा।

मुरादाबाद के थिरकुवा की परंपरा को किया समृद्ध
भारतीय संगीत में तबला के प्रादुर्भाव को लेकर कई मत हैं। डॉ. विनीत गोस्वामी बताते हैं कि वर्तमान में इसके प्रचार-प्रसार में इसके वादकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 19 वीं शताब्दी से तबला वादकों का अधिक कार्य देखने को मिलता है। जिस तरह 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में मुरादाबाद में जन्मे विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद अहमद जान थिरकुवा ने तबला वादकों के उज्ज्वल मार्ग को प्रशस्त किया, उसे 20 वीं शताब्दी में सर्व सुलभ व नवीन प्रयोगों से संपूर्ण बनाने का श्रेय उस्ताद जाकिर हुसैन को ही जाता है।

कई मंचों पर करते रहे जिक्र
उस्ताद जाकिर हुसैन ने कई मंचों पर अपने बुजुर्गों के साथ ही मुरादाबाद के अहमद जान थिरकुवा का भी जिक्र करते थे। अहमद जान थिरकुवा जैसे संगीत साधक की कई सांगीतिक रचनाएं वे मंच से सम्मान पूर्वक प्रस्तुत करते थे। रामपुर दरबार के संगीतज्ञों में मुरादाबाद में जन्मे कलाकारों का बड़ा योगदान रहा था। रामपुर दरबार के बड़े संगीतज्ञों में अहमद जान थिरकुवा का नाम भी बड़े सम्मान से लिया जाता रहा है।

याद रहेगी उस्ताद की प्रस्तुति
वर्ष 1999 की सर्द रात की वो स्मृति आज भी ताजा है। डॉ. माधव शर्मा बताते हैं कि दिल्ली में कारगिल के शहीदों की स्मृति में एक कार्यक्रम था। कार्यक्रम में भजन सम्राट अनूप जलोटा समेत संगीत की कई बड़ी विभूतियां कला के प्रदर्शन को आई थीं। इस कार्यक्रम में उन्हें भी अपने पिता संग शरीक होने का सुअवसर मिला था। यहीं पर उस्ताद जाकिर हुसैन को लाइव सुना था। साथी कलाकारों से उनका मृदु व्यवहार भी कायल कर रहा था।

मुझे लगभग 10 बार उन्हें सामने से सुनने का सुअवसर मिला। ग्रीन रूम में उनकी बातें सुनने का अवसर मिला। संगीत को समर्पित ऐसी शख्सियत का अब भविष्य में होना नामुमकिन है। - डॉ. विनीत गोस्वामी, वरिष्ठ कलाकार

संगीत को समर्पित शख्सियत उस्ताद जाकिर हुसैन सशरीर हमारे बीच भले न रहे हों, लेकिन अपनी संगीत साधना और तबला वादन के नवीन प्रयोगों के माध्यम से वे युवा कलाकारों और हर संगीत प्रेमी के बीच चिरकाल तक रहेंगे। ऐसे संगीत साधक को नमन। - आदर्श भटनागर, वरिष्ठ संगीतज्ञ

महान तबला वादक ही नहीं संपूर्ण संगीतकार थे जाकिर हुसैन
मशहूर तबला वाद उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर महानगर के संगीत प्रेमी व साहित्य विधा से जुड़े लोगों में शोक छा गया। लोगों ने उन्हें याद कर अपनी श्रद्धांजलि दी। कहा कि उस्ताद की कला ताउम्र याद रहेगी। महानगर के क्रिप्टन स्कूल में संगीत शिक्षक लोकेश हिरवे उस्ताद के निधन से मर्माहत हैं। उन्होंने कहा कि उस्ताद ज़ाकिर हुसैन सिर्फ एक महान तबला वादक ही नहीं वरन एक संपूर्ण संगीतकार, एक महान व्यक्तित्व, सुयोग्य शिष्य, महान गुरु एवं अति विनम्र व्यक्तित्व के मालिक थे।

उन्होंने बताया कि उनकी जाकिर हुसैन से पहली मुलाकात लगभग 2009, 10 के आसपास उनके पिता उस्ताद अल्लारखा खान साहब की बरसी पर हुई थी। अपने समक्ष उनका तबला वादन सुन कर मैं तो धन्य हो गया था। बताया कि उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी उनकी नम्रता और बड़ों के प्रति आदर...। एक छोटी सी याद साझा करते हुए उन्होंने बताया कि मुम्बई में 2 या 3 बार मुलाकात के बाद एक बार उनका रायपुर आना हुआ। तब मैं पंडित योगेश समसी के साथ उनसे मिलने पहुंचा तो वो तपाक से पहचान के बोले आप लोकेश भाई हो न...गजब की याददाश्त थी उनकी। उस्ताद जाकिर हुसैन को याद कर भावुक हुए संगीत शिक्षक लोकेश ने उन्हें अपनी ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

ये भी पढे़ं ; मुरादाबाद : गर्भवती के साथ दुष्कर्म का आरोप, मारपीट कर घर से निकाला...12 लोगों पर रिपोर्ट दर्ज

ताजा समाचार