इंडोनेशिया में गो-ग्रीन शिखर सम्मेलन: कानपुर की सीएसए यूनिवर्सिटी के कुलपति ने की अध्यक्षता, कही ये बातें...
कानपुर, अमृत विचार। इंडोनेशिया में 13 व 14 दिसंबर को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ.आनंद कुमार सिंह की अध्यक्षता में 11वां गो-ग्रीन शिखर सम्मेलन हुआ। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य भविष्य की गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, कार्यकर्ताओं और व्यवसायों को तैयार करना था।
सम्मेलन का आयोजन आईएफईआरपी लाइफ साइंस और अकादमिक साझेदार कृषि विश्वविद्यालय कानपुर, एसईजीआई यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज, मलेशिया, साउथ विले इंटरनेशनल स्कूल एंड कॉलेज, फिलिपींस एवं यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर साइंसेज भारत द्वारा किया गया। सम्मेलन में 10 से अधिक देशों के करीब 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया।
सीएसए के कुलपति प्रोफेसर डॉ.आनंद कुमार सिंह ने बताया कि यह सम्मेलन पर्यावरणीय समाधानों के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच के मुद्दे के साथ हुआ। उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करने के साथ सम्मेलन में नोट स्पीकर के रूप में भी अपनी मुख्य भूमिका का निर्वहन किया। कृषि अभियंत्रण संकाय के अधिष्ठाता डॉ. एनके शर्मा ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर व इटावा परिसर पिछले 6 माह में तीन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों साउथ अफ्रीका, कृषि विश्वविद्यालय कानपुर अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस व बाली इंडोनेशिया में अपनी प्रमुख भूमिका निभा चुका है।
सम्मेलन में मलेशिया से डॉ.वोंग लिग शिंग, डॉ. रिनीरियो ई एकिगोनेरो व अन्य विदेशी वैज्ञानिक मुख्य वक्ता के रूप में रहे। इटावा इंजीनियरिंग कॉलेज की गेस्ट फैकल्टी डॉ श्वेता दुबे ने मिस फुडेंडन, मिस्टर चेन मिंगुरी के साथ इस सम्मेलन में मॉडरेटर की भूमिका निभाई।
इटावा परिसर ने प्रस्तुत किए शोध
कृषि अभियंत्रण संकाय के अधिष्ठाता डॉ.एनके शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय व इटावा परिसर से अधिक से अधिक संख्या में प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया, जिसमें प्रमुख रूप से डॉ.सीमा सोनकर, प्रज्ञा मिश्रा, बादल यादव, डॉ. अरुण कुमार,डॉ.आशुतोष लोहवंशी, डॉ. काशफ खान, डॉ. ख़ुशबू गुप्ता व हर्षिता शामिल हैं।
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने पर जोर
डॉ.एनके शर्मा ने अपने विशेष शोध प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के समाधान में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के लिए उपलब्ध तकनीकों को और भी विकसित करने पर जोर देने की बात रखी। उनका प्रस्तुतीकरण प्रमुख रूप से सौर ऊर्जा से सम्बंधित तकनीकी विकसित करने व जलवायु परिवर्तन में वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग करने पर ही केंद्रित रहा।