Exclusive: हाईकोर्ट के दखल पर भी जज कॉलोनी में सीवर भराव, घरों के अंदर भरता गंदा पानी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने लिखा पत्र

Exclusive: हाईकोर्ट के दखल पर भी जज कॉलोनी में सीवर भराव, घरों के अंदर भरता गंदा पानी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने लिखा पत्र

कानपुर, अभिषेक वर्मा। शहर में आम लोग ही नहीं खास भी गंदगी और सीवर भराव से परेशान हैं। सर्किट हाउस स्थित जज कालोनी में सीवर लाइनें ध्वस्त हैं। इससे जजों के आवास के भीतर और आसपास गंदगी व सीवर भराव है। चैंबर ओवरफ्लो कर रहे हैं। पाइपों के जरिये सीवर का गंदा पानी शौचालय और आंगन में भर रहा है। 

न्यायिक अधिकारी व उनके परिवार दुर्गंध और बीमारी फैलने की आशंका से परेशान हैं। लेकिन सीवर समस्या दूर करने के लिये हाईकोर्ट इलाहाबाद के दखल के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह हैं। नई पाइप लाइन डालने का प्रस्ताव तो बनाया गया है, लेकिन उस पर काम शुरू करने का नंबर नहीं आ रहा है।   

कानपुर नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा की ओर से नगर निगम को दिये गये पत्र के अनुसार सर्किट हाउस की गेटेड जज कालोनी में 18 न्यायिक अधिकारियों के आवास बने हैं। इनमें प्रत्येक आवास की मुख्य सीवर लाइन पूर्णतः बाधित है और जगह-जगह से टूट गई है। 

नगर निगम एवं जलकल विभाग द्वारा पूर्व में की गयी जांच में पाया गया था कि यहां सीवर लाइन की पूर्ण मरम्मत या नई पाइप लाइन डालने की जरूरत है। लेकिन समस्या का समाधान नहीं होने से कालोनी में रह रहे न्यायिक अधिकारियों के आवासों के टायलेट और आंगन में प्रायः सीवर का गंदा पानी जमा हो जाता है। इससे गंदगी के साथ न्यायिक अधिकारियों के परिवार और बच्चों के संक्रमण बीमारी की चपेट में आने का खतरा है। 

पीडब्ल्यूडी ने 39.31 लाख का बनाया एस्टीमेट

जलकर विभाग के सचिव ने बताया कि सर्किट हाउस में स्थित गेटेड जज कालोनी के प्रत्येक मकान की नालियों की मरम्मत, नव निर्माण व साफ-सफाई का कार्य माननीय उच्च न्यायालय के विशेष आदेश के क्रम में जलकर विभाग और नगर निगम द्वारा कराया जाना है। कार्य को पूरा कराने के लिये उप्र लोक निर्माण विभाग कानपुर ने 39.31 लाख धनराशि का एस्टीमेट तैयार किया था, जिसे 15वें वित्त आयोग की कार्य योजना में प्रस्तावित किया गया है। 

उच्च न्यायालय के संज्ञान में मामला

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्र के माध्यम से कहा है कि मानीटरिंग सेल की अलग-अलग बैठकों में नगर निगम एवं जलकल विभाग द्वारा बार-बार यह आश्वासन दिया गया है कि 15वें वित्त आयोग की बैठक में धनराशि स्वीकृत की जानी है। यह बैठक बहुत जल्द होने वाली है। लेकिन तीन माह से इस संबंध में नगर निगम की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी है, जो कि घोर आपत्तिजनक है। इसे लेकर नाराजगी भी जाहिर की गई है। प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय के संज्ञान में है। उन्होंने नगर निगम से कहा है कि कार्य को शीर्ष प्राथमिकता पर कराया जाए ताकि आख्या माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को प्रेषित की जा सके।

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