डीआईओएस ऑफिस के लिपिक समेत पांच को तीन साल की कैद, जानें पूरा मामला
लखनऊ। केंद्रीय जांच ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने छात्रवृत्ति के गबन के मामलों में कानपुर स्थित डीआईओएस कार्यालय के तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक समेत पांच लोगों को तीन साल के कारावास और जुर्माने की सजा सुनायी है।
विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामले (मध्य) लखनऊ ने उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति के गबन से संबंधित दो मामलों वर्ष 1997-98 व 1998-99 के दौरान पहले मामलें में एवं वर्ष 1999-2000 के दौरान दूसरे मामले में तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक, डीआईओएस कार्यालय, कानपुर एवं चार निजी व्यक्तियों सहित पांच आरोपियों को 3 वर्ष की कारवास व जुर्माने की सजा सुनाई।
पहले मामले में विशेष न्यायाधीश ने छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन करने से संबंधित एक मामले में श्रीकृष्ण कुमार, तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक, डीआईओएस कार्यालयर एवं मनोज कुमार द्विवेदी (निजी व्यक्ति) को तीन साल की कैद और 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद के 11 जनवरी 2002 के जारी आदेश के अनुपालन में नौबस्ता थाने में पूर्व में दर्ज अपराध संख्या 311/2001 की जाँच को अपने हाथों में लेते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 एवं 409 के तहत दिनाँक 18 फरवरी 2002 को मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप था कि जिला कल्याण अधिकारी, कानपुर द्वारा जारी वर्ष 97-98 एवं 98-99 के लिए नौ लाख 38 हजार 264 रुपये की छात्रवृत्ति की धनराशि का जिला समाज कल्याण विभाग, कानपुर के अधिकारियों एवं जिला शिक्षा अधिकारी के कर्मियों ने कुछ निजी व्यक्तियों के साथ मिलीभगत में काल्पनिक खाते खोलकर गबन किया।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 20 सितंबर 2004 को विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण, उत्तर प्रदेश मध्य, लखनऊ में दोषी ठहराए गए आरोपियों सहित आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया।
दूसरे मामले में विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलें (मध्य), लखनऊ ने छात्रवृत्ति की धनराशि के गबन से सम्बंधित मामलें में चार आरोपी मनोज कुमार द्विवेदी, (पहले मामले में भी दोषी), विनोद कुमार मिश्रा, सुलेमान एवं प्रेम सिंह उर्फ पुती को तीन वर्ष की कारवास के साथ कुल एक लाख 20 हजार रुपये की सजा सुनाई।