कानपुर में एडीएम वित्त सीपी पाठक हत्याकांड में वादी से जिरह, 19 को गवाही: वर्ष 2001 में नई सड़क पर हुए दंगे में लगी थी गोली

कानपुर में एडीएम वित्त सीपी पाठक हत्याकांड में वादी से जिरह, 19 को गवाही: वर्ष 2001 में नई सड़क पर हुए दंगे में लगी थी गोली

कानपुर, अमृत विचार। वर्ष 2001 में तत्कालीन एडीएम (वित्त) सीपी पाठक हत्याकांड के दूसरे मुकदमे में वादी मुकदमा तत्कालीन मूलगंज थाना प्रभारी से एडीजे 8 कोर्ट में जिरह पूरी हो गई। कोर्ट ने गवाही के लिए 19 दिसंबर की तिथि नियत की है।

वर्ष 2001 में नई सड़क पर हुए दंगे में तत्कालीन एडीएम वित्त सीपी पाठक की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस मुकदमे में छह लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें वारिफ हैदर, मुमताज, हाजी अतीक, सफात रसूल, फाकिर व रिहान को आरोपी बनाया गया था। वासिफ हैदर, मुमताज, हाजी अतीक और सफात रसूल को वर्ष 2004 में सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन चारों हाईकोर्ट गए, जहां से बरी कर दिया गया था। 

फिर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन यहां से भी चारों को हाईकोर्ट से बरी किए जाने के आदेश पर मुहर लग गई। दो आरोपियों फाकिर व रिहान की फाइल अलग चल रही थी। इसमें बीते तीन दिसंबर को इस मामले में तत्कालीन मूलगंज थाना प्रभारी राजेंद्र धर द्विवेदी के बयान दर्ज हुए थे। 

गुरुवार को एडीजे 8 कोर्ट में गवाह, वादी मुकदमा तत्कालीन मूलगंज थाना प्रभारी से जिरह हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शकील अहमद बुंधेल ने बताया कि जिरह के दौरान वादी मुकदमा कभी घटनास्थल नूरानी मस्जिद तो कभी सुनहरी मस्जिद बता रहे हैं। 

बुंधेल ने बताया कि घटना के बाद विवेचक ने घटनास्थल का मुआयना किया था, लेकिन वादी ने जो घटनास्थल कोर्ट में बताया वह विवेचक की ओर से दिखाया ही नहीं गया है। इस प्रकार कई सवालों में वादी मुकदमा सही से जवाब नहीं दे पाए। कोर्ट ने अब आगे गवाही के लिए 19 दिसंबर की तिथि नियत की है।

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