Bareilly: रेलवे के इस जानलेवा प्लेटफॉर्म पर मसीहा बना GRP जवान, वीडियो में देखें कैसे बचाई यात्री की जान?
अयोध्या कैंट दिल्ली एक्सप्रेस से गिरे यात्री को प्लेटफॉर्म के नीचे जाने से बचाया
बरेली, अमृत विचार। जंक्शन के जानलेवा प्लेटफार्म नंबर दो पर जीआरपी हेड कॉन्स्टेबल की मुस्तैदी से एक यात्री की जान बच गई। चलती ट्रेन से उतर रहा एक यात्री पैर फिसलने से प्लेटफार्म के नीचे जाने लगा, मगर जीआरपी जवान ने मुस्तैदी दिखाते हुए उसे पकड़कर खींच लिया। पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देखने के बाद लोग जीआरपी जवान की तारीफ कर रहे हैं।
दरअसल पूरी घटना बुधवार देर रात 11:30 बजे बरेली जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो की है। जहां आए दिन लोग हादसों का शिकार होते हैं। ट्रेन संख्या 14205 अयोध्या कैंट-दिल्ली एक्सप्रेस प्लेटफार्म पर आकर रुकी थी। थोड़ी देर रुकने के बाद ट्रेन चलने लगी तो एक यात्री ने हड़बड़ाहट में उतरने का प्रयास किया और पैर फिसलने से गिर गया। ये देखने के बाद दूसरे यात्रियों में चीखपुकार मच गई।
प्लेटफार्म नंबर दो पर हेड कॉन्स्टेबल अवनीश कुमार ड्यूटी कर रहे थे। उन्होंने ये नजारा देखा तो बिना देर किए यात्री को पकड़कर खींच लिया और प्लेटफार्म के नीचे जाने से बचाया। तब जाकर लोगों की जान में जान आई। जीआरपी जवान की इस मुस्तैदी के लिए वहां खड़ा हर कोई शख्स उनकी तारीफ करने लगा। जीआरपी प्रभारी निरीक्षक अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि प्लेटफार्म नंबर दो पर हेड कांन्स्टेबल अवनीश ड्यूटी कर रहे थे, उनकी मुस्तैदी से एक यात्री की जान बच गई। जीआरपी इसी तरह यात्रियों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद है।
प्लेटफार्म नंबर दो पर जा चुकी हैं कई लोगों की जान
प्लेटफार्म नंबर दो पर आए दिन हादसे होते रहते हैं, अन्य के मुकाबले दो नंबर प्लेटफार्म की ऊंचाई कम है। दरअसल 2019 में दो नंबर प्लेटफार्म को मेन लाइन से जोड़ने के बाद इस वॉशेबल एप्रन से बैलास्टेड ट्रैक में बदल दिया गया। मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए वॉशेबल एप्रन को तोड़े बिना उस पर बैलास्ट डाल दिया गया। जिसके बाद हाई लेवल प्लेटफार्म मीडियम लेवल में तब्दील हो गया।
कई बार किया निरीक्षण, मगर नहीं निकला हल
प्लेटफार्म नंबर दो पर आये दिन होने वाले हादसों को लेकर जोनल से लेकर मंडल मुख्यालय तक चिंतित है, मगर लंबा समय बीत जाने के बावजूद कोई ठोस निर्णय आज तक नहीं लिया गया। मंडल रेल प्रबंधक राजकुमार सिंह खुद कई बार इंजीनियरिंग टीम के साथ निरीक्षण कर चुके हैं। बीते दिनों एक दंपति हादसे का शिकार हुआ तो डीआरएम खुद निरीक्षण करने आए और प्लेटफार्म व पायदान के बीच का गैप चेक किया था। वहीं इंजीनियरिंग के अधिकारियों का मानना है कि ट्रैक को दोबारा तोड़कर बनाया जाए तो कम से कम 40 दिन का ब्लॉक लेना पड़ेगा। यही वजह की अभी तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।
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