गोल्डन कार्ड बना "ब्लैक कार्ड", सिस्टम में लापरवाही से मरीज परेशान
हल्द्वानी, अमृत विचार। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ देने के लिए गोल्डन कार्ड की शुरू की गई थी, जिसके तहत हर महीने कर्मचारियों के वेतन से एक नियत अंशदान काटा जाता है। कार्ड सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए बना था, लेकिन अब कर्मचारियों को इलाज के लिए इस कार्ड का उपयोग करने में समस्याएं आ रही हैं।
हाल ही में ओखलकांडा ब्लॉक में कार्यरत एक शिक्षिका के पति के साथ दुर्घटना होने पर उनके इलाज के लिए अस्पताल में गोल्डन कार्ड का उपयोग करना चाहा। जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने यह कहकर इलाज करने से मना कर दिया कि उत्तराखंड का गोल्डन कार्ड नहीं चल रहा है। साथ ही बरेली के राममूर्ति अस्पताल और अल्मोड़ा में भी अन्य कर्मचारियों को गोल्डन कार्ड की सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मामला सामने आने के बाद, उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष गोपाल बिष्ट ने इस मुद्दे को राज्य प्राथमिक शिक्षक संगठन के प्रांतीय सदस्य और पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज तिवारी के सामने रखा, जिन्होंने शासन और डीजी हेल्थ तक इस समस्या को उठाया। जिसका अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। संगठन के पदाधिकारियों ने शीघ्र ही समस्या का समाधान नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी और जनहित याचिका लगाने की बात कही।