Gautam Adani पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के तहत आरोप नहीं, कंपनी ने दिया Clarification
नई दिल्ली। अरबपति गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी पर कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है। अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने बुधवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने कहा कि उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी के तहत आरोप लगाया गया है जिसमें मौद्रिक दंड लगाया जाना शामिल है।
बंदरगाहों से लेकर ऊर्जा तक के कारोबार से जुड़े समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अदाणी, सागर अदाणी और प्रमुख कार्यकारी अधिकारी विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि वे भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने की कथित साजिश का हिस्सा थे। यह रिश्वत सौर बिजली की आपूर्ति के लिए ठेका हासिल करने के वास्ते दी गई थी जिससे 20 साल की अवधि में दो अरब अमेरिकी डॉलर का मुनाफा होना था।
अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि वे खबरें ‘‘गलत’’ हैं जिनमें दावा किया गया है कि इन तीनों पर एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। उन पर ऐसे अपराधों का आरोप लगाया गया है जिनके लिए आर्थिक जुर्माना या दंड का प्रावधान है।
कंपनी की सूचना के अनुसर, ‘‘गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अभियोग या अमेरिकी एसईसी की सिविल शिकायत में निर्धारित आरोपों के अनुसार एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘ इन निदेशकों पर आपराधिक अभियोग में तीन आरोप लगाए गए हैं। उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचना, वायर धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचना, और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप है।’’
अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि वह अपने बचाव के लिए हर संभव कानूनी मदद लेगा। अमेरिकी न्याय मंत्रालय और अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग ने गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले की अमेरिकी जिला अदालत में एक आपराधिक अभियोग दायर किया है। कंपनी ने कहा, ‘‘ अभियोग में किसी भी जुर्माने/दंड को निर्दिष्ट नहीं किया गया है।’’
इसमें कहा गया है कि सिविल शिकायत के आरोप के मुताबिक, अधिकारियों ने प्रतिभूति अधिनियम 1933 और प्रतिभूति अधिनियम 1934 की कुछ धाराओं का उल्लंघन किया, अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को इन अधिनियमों का उल्लंघन करने में मदद की और बढ़ावा दिया। कंपनी की सूचना के अनुसार, ‘‘ शिकायत में प्रतिवादियों को सिविल मौद्रिक दंड का भुगतान करने का निर्देश देने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया गया है, लेकिन इसमें जुर्माने की राशि कितनी हो, इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया।’’
न्याय मंत्रालय ने अदाणी ग्रीन, एज्यूर पावर और सीडीपीक्यू (कैसे डे डेपो एट प्लेसमेंट डु क्यूबेक) के वरिष्ठ अधिकारियों पर 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी संस्थाओं से सौर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया है। सीडीपीक्यू एक कनाडाई संस्थागत निवेशक एवं एज्यूर की सबसे बड़ी शेयरधारक है।
मंत्रालय ने कहा कि इसी दौरान अदाणी ग्रीन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कंपनी की रिश्वत-रोधी प्रथाओं को (अमेरिका स्थित निवेशकों तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के समक्ष) गलत तरीके से प्रस्तुत करने की साजिश रची। साथ ही उन निवेशकों तथा संस्थानों से यह बात भी छिपाई कि उन्होंने सौर ऊर्जा आपूर्ति ठेकों सहित हरित ऊर्जा परियोजनाएं हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी।
इसे छुपाने का मकसद इन निवेशकों तथा संस्थानों से अरबों डॉलर का वित्त पोषण हासिल करना था। अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अभियोग में पांच आरोपों में से आरोप संख्या-1 (अभियोग पत्र के पृष्ठ 42 पर लिखे) में अदाणी और दो अन्य अधिकारियों का नाम शामिल नहीं है जिसे न्याय मंत्रालय ने ‘‘एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश’’ बताया है।
आरोप संख्या-1 में रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल पर आरोप हैं। अदाणी और उनके अधिकारियों पर आरोप संख्या-5 (अभियोग पत्र के पृष्ठ 51 पर लिखे) के तहत भी आरोप नहीं लगाया गया है, जिसे मंत्रालय ने ‘‘न्याय में बाधा डालने की साजिश’’ बताया है।
आरोप संख्या-5 के तहत सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल के नाम शामिल हैं। चूंकि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन पर आरोप संख्या एक और पांच (क्रमशः एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश और न्याय में बाधा डालने की साजिश) के तहत आरोप नहीं लगाया गया है...इसलिए अमेरिकी प्राधिकारियों द्वारा उन पर आरोप संख्या दो, तीन या चार (क्रमशः प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, वायर धोखाधड़ी की साजिश तथा प्रतिभूति धोखाधड़ी) के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता है।
अमेरिकी अभियोग के बाद से अदाणी समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में लगभग 54 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है। वहीं मूडीज और फिच सहित साख निर्धारण करने वाली अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने अदाणी समूह की कई कंपनियों के लिए अपने परिदृश्य को घटा दिया है।
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