Kanpur: टेनरियों की बंदी: चमड़ा कारोबार की खराब होती साख, फंसता निर्यात, विदेशी ग्राहक समय पर आपूर्ति के लिए हो जाते चिंतित

Kanpur: टेनरियों की बंदी: चमड़ा कारोबार की खराब होती साख, फंसता निर्यात, विदेशी ग्राहक समय पर आपूर्ति के लिए हो जाते चिंतित

कानपुर, अमृत विचार। महाकुंभ के स्नान पर्वों से तीन दिन पहले टेनरियों की बंदी के आदेश का सीधा असर शहर के चमड़ा कारोबार पर पड़ना तय है। चमड़ा कारोबारियों का कहना है कि इस बंदी से विदेशी ग्राहकों के बीच शहर के लेदर की गुडविल खराब होती है। समय पर उत्पाद की आपूर्ति में बाधा आती है। हालांकि उद्यमी अपनी कार्ययोजना में बदलाव कर पहले से तैयारी करते हैं, लेकिन इसके बावजूद कई बार आर्डर हाथ से फिसल जाते हैं। 

शहर में लगभग 250 छोटी बड़ी टेनरियों का संचालन होता है, जो बंदी के आदेश से प्रभावित होंगी। चमड़ा कारोबारियों ने बताया कि बंदी के रोस्टर को देखते हुए वे लोग पहले से तैयारी करते हैं। लेकिन  बंदी से विदेशी खरीदारों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्हें सिर्फ इतना पता होता है कि कानपुर में टेनरियां दो से चार माह बंद रहेंगी। 

पूरी जानकारी नहीं हो पाने के कारण अक्सर विदेशी खरीदार दूसरे देश या देश में ही अन्य स्थानों के कारोबारियों को ऑर्डर दे देते हैं। इस स्थिति में नुकसान का आकलन करना मुश्किल होता है। चमड़ा कारोबारियों के अनुसार टेनरियों की बंदी की सूचना वैश्विक होने से  विदेशी खरीदार का विश्वास कमजोर हुआ है। बड़े ऑर्डर देने से पहले विदेशी खरीदार समय पर निर्यात पूरा करने की शर्त के साथ टेनरियों की बंदी को लेकर भी सवाल करते हैं। 

मानक देखें, दोषियों को न छोड़ें 

चमड़ा कारोबारियों का कहना है कि वे लोग नियम-कानून के खिलाफ नहीं है। सिर्फ इतना चाहते हैं कि जो लोग मानक के अनुसार टेनरियां चला रहे हैं, उन्हें इस बंदी से दूर रखा जाए और जो लोग उल्लंघन कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। एक डंडे से सबको नहीं हांकना चाहिए। 

25 हजार करोड़ का सालाना करोबार

कारोबारियों की माने तो कानपुर क्षेत्र चमड़े और चमड़े के उत्पादों के निर्यात में बड़ी भूमिका निभाता है। वर्ष 2023-24 में कानपुर चर्म उद्योग का निर्यात कारोबार करीब 7,000 करोड़ रुपये और घरेलू कारोबार 18,000 करोड़ से ज्यादा रहा है। शहर से होने वाले कुल निर्यात में लेदर सेक्टर की हिस्सेदारी 80 फीसदी है। ऐसे में टेनरियों की बंदी कई बार ऑर्डर मिलने और उसे पूरे करने में बाधा बनती है। 

निर्यात लक्ष्य में भी बाधा

शहर से वर्ष 2022-23 में निर्यात का आंकड़ा 8995 करोड़ और 2023-24 में 8990 करोड़ रुपये रहा है। इस वित्तीय वर्ष शहर का निर्यात लक्ष्य 12 हजार करोड़ रुपये रखा गया है। इसमें लेदर का बड़ा हिस्सा है। बंदी निर्यात लक्ष्य को पूरा करने में रुकावट बन सकती है। 

यह रोस्टर हर बार जारी होता है। ऐसे में हम लोग पहले से ही तैयारी कर लेते हैं। डिमांड बढ़ने से एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है। टेनरियों की बंदी से अमेरिका और फ्रांस का निर्यात जरुर डायवर्ट हो जाता है।- मुख्तारुल अमीन, पूर्व अध्यक्ष सीएलई 

टेनरियों की बंदी से विदेशी खरीदारों को डिलीवरी में देरी होने का डर सताता है। इससे शहर की बिजनेस गुडविल को नुकसान होता है। आजकल ब्रांडिंग का जमाना है, जिस पर भी खासा असर पड़ता है। - आरके जालान, अध्यक्ष, सीएलई

यह बंदी गंगा की स्वच्छता और आस्था को लेकर है, हम लोग दोनों बिंदुओं पर साथ हैं। लेकिन टेनरियों की बंदी का असर कारोबार पर जरूर आएगा। इसका अनुमान  लगाना अभी जल्दबाजी होगी। विदेशी खरीदार इस तरह की बंदी की जानकारी रखते हैं। कई बार दूसरी ओर रुख कर लेते है। - जावेद इकबाल, पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष, सीएलई

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