कानपुर के राजापुरवा में गंदगी का राज: साल में तीन बार चला संचारी रोग व स्वच्छता अभियान, हाल जस का तस
जाम हैं नालियां, मच्छरों के प्रकोप से लोग परेशान
कानपुर, अमृत विचार। शहर में भले ही कई बार स्वच्छता अभियान चला हो और शासन के निर्देश पर तीन बार संचारी रोग नियंत्रण अभियान चला, लेकिन राजापुरवा से गंदगीराज खत्म नहीं हो सका। यहां के लोग गंदगी में रहने को मजबूर हैं। यहां पर मच्छरों का भी काफी आतंक है, जिसके कारण लोग के चेहरे व शरीर पर दाने व चकत्ते तक हो गए हैं।
शहर में तीन बार संचारी रोग नियंत्रण अभियान चला, जिसमें नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग समेत 12 से 13 विभागों की जिम्मेदारी तय की गई थी। लेकिन हर बार तरह इस बार भी सरकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व उनकी टीम राजा पुरवा नहीं पहुंच सकी। यहां पर कूड़ा इंटरलॉकिंग सड़क पर फैला है, आधी सड़क गायब तक हो गई है।
यहां की नालियां देखकर लगता है कि कई महीनों से साफ नहीं की गई हैं। नालियों में गंदगी व कूड़ा तक जमा है। इसके अलावा यहां की इंटरलॉकिंग सड़क भी खस्ताहाल हो गई है। कई जगह तो लोगों ने मिट्टी व गिट्टी तक डाल दी है, ताकि उनको आवगमन में दिक्कत न हो।
घरों के अंदर भर जाता है गंदे नाली का पानी
बारिश होने पर यहां जलभराव हो जाता है। इसका मुख्य कारण नालियों की सफाई न होना है। नालियों के जाम होने की वजह से बारिश का गंदा पानी सड़क किनारे बने घरों के अंदर में घुस जाता है। यह पूरा रास्ता तालाब में तब्दील हो जाता है।
बोले लोग
रवि टेलर ने बताया कि क्षेत्र में कई माह से कूड़ा एकत्र है, जिसके संबंध में लोगों ने कई बार शिकायत की, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कूड़ा नहीं हटा पा रहे हैं।
जय नारायन ने बताया कि इंटरलॉकिंग सड़क की हालत खस्ताहाल हो गई है। कई बार तो लोग गिर भी चुके हैं और कुछ गिरने से बचे हैं। फिर भी दशा नहीं सुधर रही है।
प्रेमा देवी ने बताया कि तालाब को कूड़ा घर बना दिया है, जहां पर 24 घंटे गंदगी जमा ही रहती है और उससे मच्छर व कीट पनपते हैं और बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं।
सोनू गुप्ता ने बताया कि ट्रांसफार्मर के पास कूड़े का ढेर लगा रहता है, लेकिन नगर निगम का कोई भी कर्मी सफाई करने नहीं आता है। ट्रांसफार्मर में कूड़ा जाने से आग का खतरा है।
कुसुमा ने बताया कि कई बार पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है। पानी में बालू अधिक आती है, जिसकी वजह से लोग बीमार हो जाते हैं।
पूनम ने बताया कि क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा रहता है। कूड़ा किनारे से सड़क तक आ जाता है। महिलाओं व बच्चों को उसी कूड़े से होकर गुजरना पड़ता है।