Etawah: चंबल क्षेत्र में आने लगे प्रवासी पक्षी, मार्च के महीने तक करेंगे निवास, क्षेत्र का बढ़ा प्राकृतिक सौंदर्य
इटावा, अमृत विचार। नवंबर के महीने में पिछले सालों की तरह इस साल भी प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है और यह मार्च तक भारत में ही इसी क्षेत्र में विश्राम करेंगे। इसके बाद अपने-अपने देश के लिए उड़ जाएंगे। प्रवासी पक्षी आने से इस क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य और भी बढ़ गया है।
नवंबर का महीना शुरू होते ही इन पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। चंबल क्षेत्र में इन पक्षियों को अपने रहने के अनुकूल माहौल मिलता है और यह यही निवास करते हैंं। इसको इन पक्षियों का प्राकृतिक वास भी कहा जाता है। यह प्रतिवर्ष अपने अपने देश में सर्दी अधिक होने के कारण यहां चले जाते हैं। चंबल क्षेत्र में सबसे ज्यादा साइलेशिया तथा रसिया से प्रवासी पक्षी आते है।
इन देशों से चंबल सेंचुरी क्षेत्र में लगभग 60 प्रजातियों के पक्षी आते हैं इसके कारण यह क्षेत्र गुलजार रहता है और पर्यटकों को इन पक्षियों के दीदार करने का अवसर मिलता है। पिछले कई सालों से यह सिलसिला चलता आ रहा है और यहां के लोग भी इस बात का इंतजार करते हैं कि नवंबर का महीना शुरू हो तो प्रवासी पक्षी आ जाएं और उनके दीदार करने का अवसर मिले। यहां गार्गेन, टिनटेल, ्त्रिरश्चियन पोचर्ड़ जैसी पांच दर्जन प्रजातियों के पक्षी आते हैं और इस साल भी पक्षियों ने चंबल क्षेत्र में अपना डेरा जमाना शुरू कर लिया है।
ठंड में बर्फ जम जाने के कारण नहीं मिलता भोजन
प्रवासी पक्षियों के आने का एक बड़ा कारण यह है कि यह जिन देशों में रहते हैं वहां दिसंबर जनवरी के महीने में कड़ाके की सर्दी पड़ती है और बर्फ जम जाती है। ऐसे में इन पक्षियों को अपना भोजन भी नहीं मिलता है इस समस्या से निजात पाने के लिए वे अत्यधिक सर्दी शुरू होने से पहले ही नवंबर के महीने में चंबल के क्षेत्र में आकर अपना डेरा जमा लेते हैं और मार्च तक यही रहते हैं।
खूबसूरत रहता है चंबल का नजारा
प्रवासी पक्षियों के आ जाने से सर्दियों के चार महीने में चंबल का नजारा काफी खूबसूरत रहता है लोकल लोगों के अलावा बाहर से आने वाले पर्यटक भी इन पक्षियों का दीदार करते हैं और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
प्रवासी पक्षियों का शिकार और प्राकृतिकवास में कमी
प्रवासी पक्षियों की संख्या में पिछले सालों से कमी आती जा रही है ऐसा उनकी प्रजातियों संख्या में कमी आने के कारण हो रहा है। इसका एक बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि अपने देश से चम्बल तक आने में रास्ते में इन पक्षियों का शिकार भी हो जाता है और धीरे धीरे इस क्षेत्र में इन पक्षियों के लिए प्राकृतिक वास की संख्या भी कम होती जा रही है। जैसे-जैसे पक्षियों की संख्या कम कम हो रही है चंबल में आने वाले पक्षी भी काम हो रहे हैं इसकी एक वजह इन पक्षियों का संरक्षण न होना भी माना जा रहाहै।
वन्य जीव व पक्षी विशेषज्ञ डा. राजीव चौहान का कहना है कि प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां की संख्या कम हो रही है जो कि चिंता की बात है। उन्होंने लोगों से कहा है कि इन पक्षियों को प्राकृतिक वास करने दें इनको कोई नुकसान ना पहुंचाएं और दूसरों को भी इस बात के लिए प्रेेरित करें कि वे इन पक्षियों को नुकसान न पहुंचाएं। हमें मिलजुलकर इनका संरक्षण करना है।