कासगंज: किसानों को भा रही है विलायती गाजर की खेती, बढ़ा रुझान

गन्ने से धीमे धीमे कम कर रहे मोह, गाजर की ओर किया रुख

कासगंज: किसानों को भा रही है विलायती गाजर की खेती, बढ़ा रुझान

कासगंज, अमृत विचार। जिले के किसान यूं तो गन्ने की खेती बड़े ही सलीके से करते हैं, लेकिन पिछले एक दशक से यहां के किसान अपना तरीका बदल रहे हैं। गन्ने की खेती करने वाले किसानों का रुख अब विलायती गाजर की ओर हो रहा है। इंग्लिश कैरट के नाम से मशहूर इस गाजर की खेती 10 हजार एकड तक फैल चुकी है। हजारों किसान इसका लाभ ले रहे हैं।

पश्चिमी उप्र में कासगंज जिले के सहावर, पटियाली, कासगंज तहसील के कई गांवों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। करीब 8 से 10 हजार किसान विलायती गाजर की खेती कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस गाजर की सप्लाई जिले से पूरे देश में की जाती है। विलायती गाजर की खेती से जुड़े किसानों को सरकार भी काफी सहूलियत दे रही है। विलायती गाजर की खेती करने वाले किसान समय समय सम्मान पा चुके है। उन्नतशील किसान हरिशंकर कहते हैं कि गाजर की खेती से वह समृद्ध हो रहे है और उनको काफी लाभ पहुंच रहा है। इस खेती को करने के कई फायदे है। मिट्टी को हरी खाद भी मिल जाती है।

इस तरह की मिट्टी में होती है पैदावार
गाजर की जड़ों के अच्छे विकास के लिए गहरी, नर्म और चिकनी मिट्टी की जरूरत होती है। बहुत ज्यादा भारी और ज्यादा नर्म मिट्टी गाजरों की फसल के लिए अच्छी नहीं मानी जाती । अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की पी एच 5.5 से 7 होनी चाहिए। अच्छी पैदावार के लिए 6.5 पी एच लाभदायक होती है।

गाजर की खेती नवंबर माह तक की जाती है। इस खेती के लिए किसानों को जागरूक होना चाहिए। यह खेती किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाती है और इसके तमाम फायदे है। -अवधेश मिश्र, जिला कृषि अधिकारी

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