Kanpur: मेगा लेदर क्लस्टर: अब नए सिरे से भूमि खरीदेगी कंपनी, जमीन की तलाश शुरू, इस वजह से फंस गया था प्रोजेक्ट...
कानपुर, अमृत विचार। रमईपुर में प्रस्तावित मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना की राह आसान होने जा रही है। मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड ने ग्राम समाज को देने के लिए पांच हेक्टेयर भूमि और खरीदने का निर्णय लिया है। कंपनी ने पूर्व में जमीन खरीदी थी, पर एसडीएम सदर ने यह कहते हुए दाखिल खारिज करने से मना कर दिया था कि अनुसूचित जाति के लोगों की भूमि बिना अनुमति के खरीदी गई है।
इसी तरह पट्टे की जो भूमि संक्रमणीय नहीं हुई थी, उसका बैनामा भी कंपनी ने करा लिया है। दाखिल खारिज में पेच फंसने के बाद प्रोजेक्ट रुका हुआ है। ऐसे में अब नए सिरे से पांच हेक्टेयर भूमि खरीदकर उसे ग्राम पंचायत के नाम कर दिया जाएगा। यह भूमि सुरक्षित श्रेणी की होगी।
कुरौना बहादुर नगर, मगरासा और सेन पूरब पारा में 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना होनी है। यहां 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की है, जिसके बदले में कंपनी को इतनी ही भूमि राजस्व विभाग को देनी है। इसके लिए कंपनी ने कड़री चंपतपुर, सपई गांव में भूमि का क्रय किया है, लेकिन भूमि की अदला-बदली से पहले ही दाखिल खारिज का मामला फंस गया।
एसडीएम की जांच में पाया गया था कि जिलाधिकारी की अनुमति के बिना ही सपई गांव के अनुसूचित जाति के 13 किसानों की 7.8610 हेक्टेयर भूमि का बैनामा कंपनी ने करा लिया है। इसी तरह कड़री चंपतपुर के पांच किसानों की 2.1877 हेक्टेयर भूमि व सपई गांव के चार किसानों की 0.8200 हेक्टेयर भूमि के अभिलेख गायब हैं। इन किसानों का नाम पट्टाधारक के रूप में राजस्व अभिलेखों में असंक्रमणीय भूमिधर के रूप में दर्ज है। ऐसे में भूमि का दाखिल खारिज नहीं हो पाया।
अब कंपनी ने तय किया है कि वह इस भूमि का दाखिल खारिज कराने के चक्कर में अभी नहीं पड़ेगी, बल्कि नए सिरे से भूमि की खरीदारी करेगी और उसे ग्राम समाज के नाम कर देगी। इससे अर्से से लटका पड़ा मेगा लेदर क्लस्टर का प्रोजेक्ट आसानी से मूर्त रूप ले लेगा। कंपनी से जुड़े एक निदेशक की आयुक्त एवं निदेशक उद्योग के रवींद्र नायक के साथ बैठक भी हो चुकी है। निदेशक ने नए सिरे से शुरू हुई इस प्रक्रिया से उन्हें अवगत करा दिया है।
विकास कार्यों पर खर्च होंगे 800 करोड़ रुपये
इस क्लस्टर के विकास में करीब आठ सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे, जबकि उद्योगों की स्थापना में 5860 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए वाणिज्य मंत्रालय से 125 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिलनी है, जबकि नमामि गंगे मिशन से दो सौ करोड़ रुपये कॉमन इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना के लिए मिलेंगे। कॉमन फैसिलिटी सेंटर की स्थापना के लिए 50 करोड़ रुपये राज्य सरकार देगी।