विदेश मंत्री एस.जयशंकर बोले- भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय संबंध नई ऊंचाई पर
दुबई। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच फिनटेक, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर प्रकाश डालते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि दोनों देशों के मध्य रिश्ते नयी ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। यहां सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (मानद् विश्वविद्यालय) परिसर के उद्घाटन के अवसर पर जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूएई की पहली यात्रा ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की नयी शुरुआत की।
Delighted to virtually interact with students of Symbiosis International University in Dubai today. Glad to note their interest in foreign policy and India’s prominence in the global order.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 14, 2024
Underlined greater opportunities for Indian students in a changing world.
🇮🇳 🇦🇪 pic.twitter.com/Jzh9ZtUs8G
जयशंकर ने कहा, भारत-यूएई संबंध आज सही मायनों में नये युग में हैं। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2015 में ऐतिहासिक यात्रा हुई थी जो सदी की पहली यात्रा थी, और उसी तरह से हमारी व्यापक आर्थिक साझेदारी भी ऐतिहासिक स्तर पर है।” जयशंकर ने कहा कि दुबई में सिम्बायोसिस परिसर का उद्घाटन एक व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा है जो भारत और यूएई के बीच बढ़ते शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाता है।
Pleased to join Minister @uaetolerance Sheikh Nahyan Bin Mubarak in inaugurating Dubai Campus of Symbiosis International University.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 14, 2024
Spoke about how a rising India is internationalising its education system and preparing for a global workplace. Confident that today’s… pic.twitter.com/0DIzOCsuOb
मंत्री ने कहा, भारत को आज वैश्विक कार्यस्थल के लिए तैयार होने की आवश्यकता है। साथ ही, उसे चिप्स, ‘इलेक्ट्रिक मोबिलिटी’, स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष और सड़कों के युग के लिए भी तैयार रहना होगा। जयशंकर ने कहा कि भारत को इन संभावनाओं के विकास को पर्यावरण अनुकूल और बाजार अनुकूल बनाकर प्रबंधित करना होगा। मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से हमें विश्व के साथ तालमेल बिठाने और राष्ट्रीय संभावनाओं को आगे बढ़ाने की विशेष क्षमता मिलेगी।
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