नैनीताल: बढ़ते प्रदूषण से अब हिमालयी क्षेत्रों में भी रहना हुआ जानलेवा
नैनीताल, अमृत विचार। ग्लोबल वार्मिंग और मौसम में लगातार हो रहे बदलाव के बाद अब पहाड़ों में पाई जाने वाली स्वच्छ हवा भी इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। बीते कुछ वर्षों में बढ़ते प्रदूषण और हवा में घुल रही जहरीली गैसें 400 प्रतिशत तक बढ़ गईं हैं।
पहाड़ों की साफ हवाओं में नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा भी तेजी से बढ़ने लगी है। हिमालय क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे वायु प्रदूषण से इन गैसों में कार्बन के मुकाबले 100 गुना ज्यादा गर्मी संचित करती है। पहाड़ों पर बेतहाशा वाहनों की आवाजाही से यहां का पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।
आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान के निदेशक व मौसम विज्ञानी डॉ. मनीष नाजा बताते हैं कि ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते स्तर के कारण मौसम निर्धारित चक्र से हट रहा है और नैनीताल समेत पहाड़ों में होने वाली बर्फबारी भी कम हो रही है। मनीष बताते हैं कि वाहनों से होने वाला प्रदूषण इसका मुख्य कारक है।
वाहनों से खतरनाक गैस निकल रही है जो वायुमंडल के लिए घातक है। एक अनुमान के मुताबिक नैनीताल व पहाड़ी क्षेत्र में प्रतिदिन करीब पांच हजार वाहन औसतन चालीस किलोमीटर तक का सफर करते हैं। इस अनुमान के आधार पर प्रतिदिन 60 किलोग्राम तक प्रदूषक तत्व हवा में घुल रहे हैं। नैनीताल का एक्यूआई लेवल 180 के आसपास है जो मानक से ढाई गुना ज्यादा है।
पहाड़ों में नवंबर माह तक ठंड का एहसास नहीं
हिमालय क्षेत्र की हवा में घुल रही घटक गैसों का प्रभाव पहाड़ के मौसम पर भी दिखने लगा है।अक्टूबर माह से पहाड़ों में पढ़ने वाली कड़ाके कि ठंड अब तक पहाड़ों से पूरी तरह गायब है दिन भर धूप खिल रही है तो शाम को मौसम बेहद सुहावना हो रहा है। मौसम वैज्ञानिक भी पहाड़ों में हो रहे मौसम के बदलाव से चिंतित है। वैज्ञानिकों का मानना है जिस तरह से हवा जहरीली हो रही है उसी का असर पहाड़ों की साफ हवा में पड़ रहा है।
जंगलों में लगने वाली आग बड़ा कारण
डॉ. मनीष नाजा बताते हैं पहाड़ों की हवा के जहरीली होने का एक बड़ा कारण जंगलों में लगने वाली आग की घटनाएं है। जंगलों में आग लगने की घटनाएं के दौरान ओजोन की मात्रा 110 पीपीई ,कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा 3 हजार पीपीई तक पहुंच जाती है जो पहाड़ी क्षेत्र के लिए बेहद खतरनाक है।
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