Kanpur News: एकादशी पर ‘गुंजन’ की जिंदगी में आई बहार...अनाथालय से दाम्पत्य जीवन मिलने के बाद छूटा था पति का साथ
खोदन गांव में हुई शादी में पूरे गांवके लोगों ने दिया आशीर्वाद
कानपुर, अमृत विचार। ‘गुंजन’ अनाथालय में पली-बढ़ी। सयानी हुई तो अनाथालय से ही दाम्पत्य जीवन जीने का सुख मिला, लेकिन उसकी खुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी। तीन बेटियां हुईं तो पति का साथ छूट गया।
वह ‘अभागिन’ सी जिंदगी गुजारने लगी, देवोत्थानी एकादशी एक बार फिर उसके लिए खुशियों की बहार लेकर आई। कल्लू ने गुंजन सिंह को हमसफर बनाकर खुशियों की सौगात दे दी। इस मौके पर पूरा गांव आशीर्वाद देने के लिए जुटा।
यह मामला ककवन थाना क्षेत्र के नदीहा खुर्द गांव का है, जहां देवोत्थानी एकादशी पर पूरा गांव मंगल गीत गाने के लिए उमड़ पड़ा। अभागिन सी जिंदगी में फरिश्ता बनकर एक युवक ने न सिर्फ उसे अपना जीवनसाथी चुन लिया, बल्कि उसकी बेटी को भी स्वीकार किया। जिंदगी के खुशियों भरे पल में पूरे गांव ने साथ निभाया और हर्षोल्लास के साथ दोनों का विवाह संपन्न कराया।
दरअसल, नदिया खुर्द गांव के भीम सिंह नाम के युवक ने करीब 12 साल समय पहले एक अनाथालय में रह रही गुंजन सिंह नाम की युवती के साथ शादी की थी। शादी के बाद इनके तीन बेटियां हुईं। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन कुछ समय बाद हालात बिगड़े और पति भीम सिंह ने आत्महत्या कर ली। पति की मौत के बाद गुंजन की जिंदगी अभागिन सी हो गई।
एक तो जिंदगी की गाड़ी चलाने का बोझ और उस पर तीन बेटियों की चिंता ने उसकी सारी खुशियां छीन लीं। वह किसी तरह जिंदगी गुजार रही थी, तभी लगभग 2 महीने पहले खोधन गांव का कल्लू उसकी जिंदगी में फरिश्ता बनकर आया। उसने गांव वालों के सामने गुंजन सिंह को अपनाने का प्रस्ताव रखा। यह चर्चा पूरे गांव में छिड़ी तो कुछ जागरूक लोग आगे आए और सार्थक पहल शुरू की।
देवोत्थानी एकादशी का दिन गुंजन की जिंदगी में खुशियों की बहार लेकर आया। मंगलवार को शादी का इंतजाम किया गया। शादी में पूरा गांव शामिल हुआ। कल्लू और गुंजन की शादी की रस्में पूरी हुईं। गांव वालों ने आशीर्वाद देकर गुंजन सिंह को कल्लू की दुल्हन बनाकर हंसी-खुशी विदा किया। करीब पांच साल की सबसे छोटी बेटी भी गुंजन के साथ है।
पुजारी सूर्यप्रताप ने निभाई अहम भूमिका
नदिया खुर्द गांव के पुजारी सूर्यप्रताप सिंह ने गुंजन की जिंदगी में खुशियां भरने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने न सिर्फ शादी का पूरा इंतजाम किया, बल्कि अपने ही घर से शादी की रस्में पूरी कराईं। सूर्यप्रताप कहते हैं कि जीवन में किसी के गम के जख्म भर पाना ही सबसे बड़ी पूजा है।
दो बेटियों को मिला मां-बाप का प्यार
जब एक अभागिन की मदद के लिए सूर्यप्रताप सिंह आगे बढ़े तो पूरा गांव ही साथ आ गया। गुंजन की दो बेटियों को गोद लेने वाले भी आगे आ गए। एक बेटी को गांव के पन्नालाल शुक्ल ने गोद लेने की घोषणा की तो दूसरी बेटी को गांव की ही आकांक्षा पांडेय ने गोद ले लिया। दोनों के ही कोई संतान नहीं थी। उनके इस फैसले का पूरे गांव ने स्वागत किया। इस मौके पर गांव के राजू सेंगर, सुनील मिश्रा, संजय सिंह, कैलाश तिवारी, अशोक तिवारी, श्याम बिहारी शुक्ला, महेश सिंह आदि लोग मौजूद रहे।