देहरादून: निजी स्कूलों द्वारा एडमिशन प्रक्रिया पर विवाद, आरटीई एक्ट की अनदेखी के आरोप
देहरादून, अमृत विचार। प्रदेश में 2025-26 सत्र के लिए निजी स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर अभिभावकों और शिक्षा विशेषज्ञों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। कुछ निजी स्कूलों ने बच्चों के एडमिशन के लिए तीन घंटे की लिखित परीक्षा आयोजित की है, जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं।
अभिभावकों का कहना है कि यह कदम न केवल बच्चों के लिए मानसिक उत्पीड़न है, बल्कि यह राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट की भी अनदेखी है, क्योंकि इस एक्ट के तहत 6 से 14 साल के बच्चों के लिए किसी प्रकार की प्रवेश परीक्षा नहीं ली जा सकती।
देहरादून में कुछ निजी स्कूलों ने हाल ही में एडमिशन के लिए बच्चों से तीन घंटे की लिखित परीक्षा ली। अभिभावकों के मुताबिक, इस परीक्षा के आधार पर बच्चों की मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी, और उसी के अनुसार एडमिशन होगा। हालांकि, अभिभावकों का कहना है कि यह परीक्षा बच्चों के लिए अत्यधिक कठिन और समय खाने वाली प्रक्रिया है, खासकर जब वे छोटे होते हैं। उनका यह भी कहना है कि इस तरह की परीक्षा बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सही नहीं है।
आरटीई एक्ट के विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी स्कूल में एडमिशन के लिए इस तरह की परीक्षा नहीं ली जा सकती। एक विशेषज्ञ ने कहा, "यदि प्रदेश के किसी जिले में इस तरह की परीक्षा ली जा रही है, तो इसके लिए संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।" उन्होंने यह भी बताया कि आरटीई एक्ट के तहत यह पूरी तरह से अवैध है और स्कूलों को इसका पालन करना चाहिए।
इसके अलावा, कुछ निजी स्कूलों पर यह भी आरोप हैं कि वे मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं और बच्चों को किताबें और ड्रेस एक विशिष्ट दुकान से खरीदने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इससे अभिभावकों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ रहा है और उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा कि क्या यह पूरी प्रक्रिया नियमों के अनुरूप है या नहीं।
राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, जिसका उद्देश्य सभी सरकारी और निजी स्कूलों के लिए न्यूनतम व्यावसायिक और गुणवत्ता मानकों को निर्धारित करना था। इस निकाय के तहत स्कूलों को बुनियादी मापदंडों, सुरक्षा, शिक्षक संख्या, और आधारभूत ढांचे का पालन करना होगा। हालांकि, इस प्रस्ताव को अभी तक शासन से मंजूरी नहीं मिली है, जिससे स्थिति में सुधार की उम्मीदें धुंधली बनी हुई हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में जांच की जाएगी और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई की जाएगी। कुलदीप गैरोला, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा ने कहा कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी और यदि किसी स्कूल ने नियमों का उल्लंघन किया है, तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
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