बदायूं : शानो शौकत से मनाया जाएगा तीन दिवसीय उर्स, देश-विदेश के जायरीन होंगे शामिल
बदायूं, अमृत विचार। शहर के चक्कर की सड़क स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह ए आलिया कादरिया पर हजरत हुजूर शाह ऐनुल हक मौलाना अब्दुल मजीद कादरी बदायूंनी रहमतुल्लाह अलैह का 183वां तीन दिवसीय उर्स 19 से 21 नवंबर तक शानो शौकत से मनाया जाएगा। उर्स ए कादरी खानकाहे आलिया कादरिया के साहिबे सज्जादा काजी ए जिला हजरत अब्दुल गनी मोहम्मद अतीफ मियां कादरी की सरपरस्ती और निगरानी रहेगी। उर्स में देश-विदेश के हजारों जायरीन शामिल होंगे। जिनके ठहरने की व्यवस्था रहेगी।
नाजिमे उर्स हाफिज अब्दुल कय्यूम कादरी की ओर से खानकाहे कादरिया के प्रवक्ता तनवीर खान कादरी ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता की। उन्होंने बताया कि उर्स एक कादरी तेजी से मुकम्मल की जा रही हैं। उर्स में महिलाएं नहीं आतीं। उर्स में शहजादा ए गिरामी हजरत अल्लामा मौलाना फजले रसूल मोहम्मद अज्जाम मियां कादरी समेत बड़े-बड़े उलमा शिरकत करेंगे। पहले दिन उर्स की शुरूआत होगी। किताबों के स्टाल लगेंगे। मेडिकल कैंप भी रहेगा। अगले दिन नमाजे इशा के बाद कादरी मजीदी कांफ्रेंस होगी। अंतिम दिन नमाजे फज्र के बाद कुल की फातिहा के साथ उर्स का समापन हो जाएगा। इस बार भी सालाना उर्स में देश व विदेश के जायरीन पहुंचेंगे। जायरीनों के लिए खानकाह की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने बताया कि साहिबे उर्स हजरत हुजूर शाह ऐनुल हक मौलाना अब्दुल मजीद कादरी बदायूंनी रहमतुल्लाह अलैह अपने वक्त के बड़े सूफी और आलिम थे। वह बहुत विद्वान थे। वह हुजूर अच्छे मियां शम्से मारहरा के खलीफा हैं। उनका जन्म 1765 ईसवी में हुआ था। वह हर पल अल्लाह की इबादत में मशगूल रहते थे और लोगों को अपने फैज से नवाजते थे। उनका विसाल साल 1841 (निधन) में हुआ था। जिसके बाद से उर्स मनाया जाता है। जिसमें हर जाति-धर्म के लोग शामिल होते हैं।
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