कानपुर सेंट्रल स्टेशन का हाल: ट्रेनों में चीख-पुकार और धक्का-मुक्की से सफर...फर्श से लेकर टॉयलेट तक बदबू में यात्रा करने की मजबूरी
लंबी दूरी की ट्रेनों में भूखे-प्यासे आ-जा रहे हजारों यात्री
कानपुर, अमृत विचार। दीपावली और छठ पूजा पर लाखों यात्रियों के लिए सफर करना पहाड़ तोड़ने से कम नहीं है। भारी भीड़, धक्का-मुक्की के बीच परिवार के साथ हजारों लोग सफर में हो रही परेशानियों के चलते बेहाल हैं। रविवार को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर आने वाली ट्रेनों में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।
पश्चिम बंगाल से आने वाले नीलांचल एक्सप्रेस के साधारण कोच के प्रसाधन में कई लोग बदबू के बीच बैठे थे। छोटे छोटे बच्चे धक्का-मुक्की के कारण रो रहे थे। ऐसा ही कुछ नजारा नंदनकान्हा एक्सप्रेस में देखने को मिला। इसी ट्रेन में गंदगी का अंबार था और यात्री इसी गंदगी में परिवार के साथ सफर करने को मजबूर थे।
ऐसा ही हाल लोकमान्य टर्मिनल से गोरखपुर जाने वाली कुशीनगर एक्सप्रेस का था, इसमें भी गेट पर ही इतने लोग लटके थे कि कोच के अंदर जाने का कोई रास्ता ही नहीं था। इस ट्रेन के स्लीपर क्लास के कोचों की हालत ये थी कि भूसे की तरह यात्रियों से भरा पड़ा था।
सेंट्रल स्टेशन पर कई यात्री कुशीनगर एक्सप्रेस के एसी कोच में चढ़ गए जिन्हें जीआरपी और आरपीएफ ने नीचे उतारा। कानपुर सेंट्रल स्टेशन से प्रतापगढ़ जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस में यात्रियों की भारी भीड़ के चलते परिवार के साथ सफर करने वालों का बुरा हाल था। भोपाल इंटर सिटी एक्सप्रेस में भी यात्रियों की भारी भीड़ रही जिससे यात्री परेशान रहे।
बसों में भी मारामारी, खड़े होने की जगह नहीं
बसों में भी जबरदस्त भीड़ है। यात्रियों को बसों में खड़े होने की जगह तक नहीं है। स्थिति ये है कि झकरकटी बस अड्डे पर 20 बसें रिजर्व की गई थीं लेकिन ये बसें कई क्षेत्रों के लिए रवाना करनी पड़ीं।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम कानपुर परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार का मानना है कि अभी कई दिनों तक बसों में इसी प्रकार भीड़ होगी क्योंकि लोग त्योहार करके वापस अपने काम पर जा रहे हैं। आरएम ने बताया कि 300 बसों को दिल्ली, गोरखपुर, सोनौली, वाराणसी, प्रयागराज समेत विभिन्न जिलों के लिए लगाया गया है।