शहर में उड़ेंगी मोदी और योगी के नाम की पतंगे, उठेगा शोर वो काटा.. वो काटा.. का गूंज
लखनऊ, अमृत विचार: दिवाली के दूसरे दिन चरखी पर डोर भरकर जब पतंगबाज जमघट मनाने के लिए घरों की छतों और मैदानों पर जुटेंगे। उनके हाथों में फंसी डोर पर आसमान में लहराती पतंगें अपने साथ उड़ रही दूसरी पतंगों को काट उन्हें अर्श से फर्श तक लाने के लिए लपकेंगी। तो डोर से कटते ही वो काटा.. वो काटा.. के शोर से पुराना शहर गूंज उठेगा। माइक और साउंड बाक्स पर उभरता यह शोर 1 नवंबर जमघट को दिनभर सुनने को मिलेगा। किस पतंगबाज का दांव किस पर भारी पड़ेगा। इस पर ही सबकी नजरें टिकी होंगी। पुराने शहर के आसमान पर पतंगों का जमघट देखने को मिलेगा।
मोदी-योगी के चित्रों से सजी पतंगे इस बार भी क्षितिज पर कुलांचे भरेंगी
चौक, नक्खास, हुसैनगंज, लालबाग, रकाबगंज, चारबाग, राजाबाजार, कोनेश्वर चौराहा के साथ ही शहर के विभिन्न इलाकों में पतंगों की दुकानों पर देर रात तक भीड़ लगनी शुरू हो गई है। चरखी भरवाने को पतंगबाजों की लंबी लाइन लग रही है। दीपावली के दूसरे दिन जमघट पर लखनऊ का आसमान पतंगों से पटा नजर आयेगा। पतंगबाजों और पतंग विक्रेताओं के अनुसार इस बार मोदी-योगी के तस्वीर वाली पतंग आसमान में कुलांचे भरती दिखाई देंगी। मोदी-योगी की तस्वीरों वाली पतंगों की मांग सबसे अधिक है। बच्चों में पॉलीथिन से तैयार पतंगों में कार्टून के चित्र नजर आयेंगे।
जिन्हें नहीं है फुर्सत वह भी भरवा रहे चरखी
जमघट को लेकर पतंगबाजों ने तैयारियां शुरू कर दी है। नौकरी, व्यापार करने वाले ऐसे लोग जिन्हें अन्य दिनों में पतंगबाजी के लिए फुर्सत नहीं मिलती, वे भी पतंग के साथ चरखी में रील भरवा रहे हैं। जमघट के दिन अन्य पतंगबाजों के साथ ये भी पेंच लड़ाते नजर आयेंगे। पुराने लखनऊ में पतंगबाजी का अधिक क्रेज है। दिवाली के साथ ही लोग जमघट की तैयारी शुरू कर देते हैं। छत से पतंगबाजी करने वाले अपने खाने की व्यवस्था के साथ ही म्यूजिक सिस्टम भी लगा लेते हैं। लखनऊ काइट कांटेस्ट आर्गेनाइजेशन और लखनऊ पतंग विक्रेता संघ के अधिकारियों के अनुसार दिवाली के दूसरे दिन ही जमघट होने से लोग दिवाली के साथ ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। मझोली, अध्धी, सवा की तीन और पौना पतंगों की मांग सबसे अधिक है। इनमें भी मुरादाबाद से आने वाली पतंगें अधिक बिक रही हैं।
संकल्प : चाइनीज मांझा और तार का प्रयोग नहीं होने देंगे
पतंगबाज तार और चाइनीज मांझा लगा कर पतंग नहीं उड़ायेंगे। पतंग विक्रेता भी चाइनीज मांझे के साथ तार नहीं बेच रहे हैं। यह संकल्प दोनों ने मिल कर लिया है। साथ ही यदि कोई ऐसा करता मिला, तो इसकी सूचना पुलिस को दी जायेगी। साथ ही पुलिस भी दुकानों पर छापे मारी कर चाइनीज मांझा जब्त करेगी। चाइनीज मांझे से किसी की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। लखनऊ काइट कांटेस्ट आर्गेनाइजेशन के सचिव यशपाल सिंह सोढ़ी और लखनऊ पतंग विक्रेता संघ के सचिव नीरज रस्तोगी ने बताया कि चाइनीज मांझे और तार का प्रयोग न करने का संकल्प लिया गया है। कोई पतंगबाज और विक्रेता ऐसा करते हुए पाया गया तो इसकी सूचना पुलिस को दी जायेगी। इन दोनों सदस्यों ने बताया कि चाइनीज मांझे की ऑनलाइन बिक्री मुसीबत बनी हुई है। इसे रोकने के लिये इंतजाम करने होंगे।
शहर में सजाने वाली पतंगों की बढ़ी मांग
शहर में सजाने वाली पतंगों की मांग बढ़ी है। यह काफी बड़ी होती है। एक आकर्षक शोपीस के रूप में इन्हें तैयार किया जाता है। इनका दाम 500 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक है। इस तरह का ट्रेंड पहली बार देखने को मिल रहा है।
मोबाइल के चलते कम हुई पतंगबाजी
लखनऊ काइट आर्गेनाइजेशन के सचिव यशपाल सोढ़ी ने बताया कि पहले की तुलना में पतंग का क्रेज हो रहा है। मोबाइल के चलते पतंगबाजी प्रभावित हो रही है। बच्चे मोबाइल में अधिक समय दे रहे हैं। पतंगबाज के लिए मैदान पहले ही कम हो गए है। पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं में कमी आई है।
दाम प्रति पतंग
मंझोली - पांच रुपये से 10 रुपये
अध्धी - 13 रुपये से 25 रुपये तक
सवा की तीन- 15 से 35 रुपये तक
पौना - 16 से लेकर 45 रुपये
मेट्रो रूट पर न करें पतंगबाजी
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन के अधिकारियों ने लखनऊ मेट्रो रूट के इर्द-गिर्द पतंगबाजी न करने की अपील की है। तार और चाइनीज मांझे वाली पतंगों से मेट्रो रूट पर लगे हाईवोल्टेज तार पर गिरने से तकनीकी दिक्कतें आती है। साथ इससे पतंगबाज का जीवन खतरे में पड़ सकता है। हाईवोल्टेज तार के संपर्क में आने से पतंगबाज की जान भी जा सकती है। मेट्रो रूट पर पतंगबाजी रोकने को मेट्रो के अधिकारियों ने पहले भी पुलिस के साथ अभियान चलाया। मेट्रो रूट के आस-पास पतंगबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई।
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