सिख विरोधी दंगे में गई थी 2 हजार से अधिक लोगों की जान, चालीस साल बाद भी 20 मामलों की चल रही सुनवाई
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और सिख समुदाय के लोग मारे गए। इस घटना के चालीस साल बाद भी उनसे जुड़े मामलों में कई प्रमुख घटनाक्रम हुए हैं। पीड़ितों और उनके परिजनों की ओर से कानूनी लड़ाई में सबसे आगे रहने वालों के अनुसार, मामले में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं जिसमें मामलों को फिर से खोला जाना और राजनीति के क्षेत्र के बड़े चेहरों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना शामिल है, लेकिन न्याय का रास्ता अभी लंबा है।
नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के दंगों के संबंध में दिल्ली में कुल 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, जिसमें 2,733 लोग मारे गए थे। कुल मिलाकर, पुलिस ने लगभग 240 मामलों को बंद कर दिया और कहा कि उनमें कुछ पता नहीं चल पाया और लगभग 250 मामलों में लोगों को बरी कर दिया गया। एक नवंबर 1984 को तीन लोगों की हत्या में कथित भूमिका के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मई 2023 में एक आरोपपत्र दायर किया। सीबीआई ने आरोप लगाया कि टाइटलर ने एक नवंबर 1984 को राष्ट्रीय राजधानी के पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट क्षेत्र में एकत्रित भीड़ को उकसाया और भड़काया। इस घटना के परिणामस्वरूप गुरुद्वारा जला दिया गया और ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की हत्या कर दी गई।
वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का पिछले कई दशकों से 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि टाइटलर का मामला भारतीय इतिहास में एक दुर्लभ मामला है क्योंकि 2007, 2009 और 2014 में लगातार तीन ‘क्लोजर रिपोर्ट’ के बाद इसे फिर से खोला गया। अदालत ने ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को खारिज कर दिया, और सितंबर 2024 में मामले में हत्या और अन्य अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया।
हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय, मामले में आरोप तय करने को चुनौती देने वाली टाइटलर की अपील पर 29 नवंबर को सुनवाई करने वाला है। कुल 587 प्राथमिकी में से करीब 27 मामलों में 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। इनमें से करीब 50 लोगों को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया, जिसमें कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार भी शामिल हैं। उस समय कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता एवं सांसद रहे सज्जन कुमार पर एक और दो नवंबर 1984 को दिल्ली की पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या से संबंधित एक मामले में आरोप लगाया गया था। इस मामले में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
निचली अदालत द्वारा दो मामलों में कुमार को बरी किए जाने के खिलाफ दो अन्य अपील उच्च न्यायालय में लंबित हैं। कुमार वर्तमान में तीन मामलों का सामना कर रहे हैं, जिसमें दिल्ली के नवादा के गुलाब बाग में एक गुरुद्वारे के पास हुई हिंसा से संबंधित एक मामला भी शामिल है, जिसमें वे विचाराधीन कैदी हैं। अक्टूबर में एक निचली अदालत ने एक नवंबर, 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की मौत से संबंधित एक मामले में कुमार के खिलाफ अंतिम बहस पूरी की थी। इन नेताओं के मामलों के अलावा, दिल्ली के जनकपुरी और विकासपुरी क्षेत्रों से संबंधित 1984 के दंगों के मामलों की सुनवाई वर्तमान में जारी है, जो इसे विभिन्न अदालतों में लंबित 20 मामलों में से एक बनाता है।
घटनाक्रम के आंकड़े
दिल्ली में दर्ज कुल मामले: 587
हताहतों की संख्या: 2,733
बंद हुए मामले: 240
मामलों में कुल दोषसिद्धि: 27
मामलों में कुल बरी: 250
लंबित मामले: 20
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