उन्नाव में ताइवान पिंक अमरूद से झोली भर रहे इंद्रमोहन: लाखों की कमाई के साथ लोगों को रोजगार भी करा रहे मुहैया
आम बागवान ने पहले लीची फिर ताइवान पिंक अमरूद की शुरू की है खेती
उन्नाव, हसनगंज, (लोकेन्द्र सिंह)। जिला पंचायत सदस्य व आम बागवान इंद्रमोहन सिंह राजनीति करते हुए बागवानी को अपना प्रमुख पेशा बनाए हुए हैं। आम की बागवानी करने के साथ उन्होंने लीची व ताइवान पिंक नामक अमरूद की खेती शुरू की है।
इसमें वे लाखों रुपये की कमाई करने के साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि ताइवान पिंक अमरूद की खेती काफी अच्छी होती है और इसमें कमाई भी ठीक होती है। उन्होंने कहा कि अन्य किसानों से भी इस ओर प्रयास करना चाहिये।
बता दें कि आम की पैदावार में लगातार आ रही गिरावट व बाजार में सही दाम न मिलने से किसान अब इसकी जगह अन्य फलों की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं। हसनगंज क्षेत्र के गांव बीबीपुर निवासी किसान व जिला पंचायत सदस्य इंद्रमोहन सिंह के आम के बाग हैं।
इसमें कम लाभ दिखने पर उन्होंने पहले लीची के 50 पेड़ लगाकर उनकी अच्छी पैदावार की। इसके साथ ही उन्होंने तीन बीघे में ताइवान पिंक नामक अमरूद के 1400 पेड़ लगाए हैं। जिनमें इस वर्ष पहली फसल तैयार हो रही है। उनका कहना है कि बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले अमरूद की काफी मांग है। इसीलिए उन्होंने आम व लीची के साथ इस अमरूद की फसल में हाथ आजमाने का फैसला किया है।
ताइवान पिंक अमरूद वैसे तो साल में तीन फसल देगा लेकिन दो फसलों में अच्छी पैदावार हो सकती है। शुरुआत में प्रति पेड़ करीब 5 किलो अमरूद पैदा होंगे। जिनकी बाजार में 60 रुपये प्रति किलो की दर से बिक्री होगी। इंद्रमोहन ने बताया कि इस बार वे एक हजार फलों में एप्पल कैप लगवा रहे हैं।
जिससे फलों का कीटों से तो बचाव होगा ही साथ ही फलों की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी। ताइवान पिंक अमरूद की एक साल में दो बार अच्छी फसल ली जा सकती है। पौधे पर केवल एक फीट की ऊंचाई पर से ही फल लगने लगते हैं। इसके पौधे पर साल के 12 महीने फूल लगे रहते हैं और फल पकने के बाद अंदर का गूदा लाल हो जाता है।
काफी समय से जैविक फलों का उत्पादन कर रहे इंद्रमोहन
इंद्रमोहन सिंह ने कहा कि उन्हें बचपन से ही खेती से लगाव रहा है। बताया कि फलों व सब्जियों के उत्पादन में किसान ज्यादा पैदावार के लिए तमाम प्रकार के कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करते हैं। जिससे मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं। उनका कहना है कि जैसे ही फल पेड़ पर लगने लगे उसी समय उन फलों को ऐपल कैप लगा देने चाहिए।
जिससे फलों का कीटों से बचाव तो होगा ही साथ ही उनकी गुणवत्ता भी बढ़ेगी। बताया कि वह आम व लीची के साथ अब अमरूद की फसल में भी कीटनाशक का प्रयोग नही कर रहे हैं। बिना कीटनाशक के प्रयोग किये गए फलों की बाजार में अच्छी कीमत तो मिलती ही है साथ ही लोगों की सेहत पर भी कोई बुरा असर नहीं होता है।
जैविक खेती कर आसपास के किसानों को कर रहे जागरूक
इंद्रमोहन सिंह खुद तो जैविक खेती कर ही रहे हैं। इसके साथ ही आसपास के दर्जनों गावों के किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं। बीते वर्ष उनसे जैविक खेती के बारे में जानकारी लेकर दर्जनों किसानों ने आम की फसल में अच्छा मुनाफा कमाया है।
बोले अधिकारी…
जिला कृषि अधिकारी शाशंक चौधरी ने बताया कि किसानों को अमरुद व लीची की खेती पहले भी कराई गई थी। कुछ क्षेत्रो में अच्छा मुनाफा न होने पर किसानों ने इसे बंद कर दिया था। इसके बाद हम लोगों ने ताइवान पिंक अमरूद व लीची की जानकारी देकर किसानों को प्रेरित कर इसकी खेती शुरू कराई है। जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकेगा।