Amrit Vichar Helth Care Conclave: चिकित्सकों ने बताईं समस्याएं, जनप्रतिनिधि बोले-हम कराएंगे समाधान

 चिकित्सकों व अस्पताल संचालकों ने जनप्रतिनिधियों के सामने रखीं अपनी समस्याएं

Amrit Vichar Helth Care Conclave: चिकित्सकों ने बताईं समस्याएं, जनप्रतिनिधि बोले-हम कराएंगे समाधान

पांच साल की पत्रकारिता की यात्रा में जन-जन की आवाज बन चुके अमृत विचार की ओर से रविवार को डोहरा रोड स्थिति स्वर्ण फार्म लॉन में हेल्थकेयर कॉन्क्लेव 2024 का आयोजन किया गया । दोपहर दो बजे से शुरू हुए आयोजन में चिकित्सकों व अस्पताल संचालकों के समक्ष आ रही समस्याओं के समाधान को लेकर 5 बजे तक बिंदुवार चर्चा की गई।

बरेली, अमृत विचार: पांच साल की पत्रकारिता की यात्रा में जन-जन की आवाज बन चुके अमृत विचार की ओर से रविवार को डोहरा रोड स्थिति स्वर्ण फार्म लॉन में हेल्थकेयर कॉन्क्लेव 2024 का आयोजन किया गया । दोपहर दो बजे से शुरू हुए आयोजन में चिकित्सकों व अस्पताल संचालकों के समक्ष आ रही समस्याओं के समाधान को लेकर 5 बजे तक बिंदुवार चर्चा की गई। इस मौके पर चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले चिकित्सकों को अमृत विचार परिवार की ओर से सम्मानित किया गया।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वन व पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार, विशिष्ट अतिथि मेयर डॉ. उमेश गौतम, कैंट विधायक संजीव अग्रवाल, बिथरी विधायक डॉ. राघवेंद्र शर्मा, नवाबगंज विधायक डॉ. एमपी आर्या, बरेली इंटरनेशलन यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. केशव कुमार अग्रवाल, बरेली इंटरनेशलन यूनिवर्सिटी के प्रति कुलाधिपति डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल और अमृत विचार अखबार के समूह  संपादक शंभू दयाल वाजपेयी ने संयुक्त रुप से मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। डॉ अर्जुन अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष कांग्रेस एवं उद्यमी अजय शुक्ला, उद्यमी राजेश गुप्ता, बीएल एग्रो के निदेशक अनुग्रह नारायण सिंह, मीडिया मार्केटिंग क्षेत्र से सोमेश शर्मा, एसआरएमएस के मीडिया मैनेजर अमित अवस्थी आदि मौजूद रहे।

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डॉक्टरों के परिश्रम से जिले को मिला मेडिकल हब का गौरव
चिकित्सकों की समस्या पर मंथन पर आधारित हेल्थ केयर कान्क्लेव कार्यक्रम का मंच संचालन कर रहे वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डा. प्रमेंद्र माहेश्वरी ने कहा की बरेली शुरुआत से ही चिकित्सा के क्षेत्र में अपना अद्वितीय स्थान रखता रहा है। जिले से हर साल 50 हजार से अधिक डॉक्टर और पैरामेडिकल के छात्र यहां के तीनों मेडिकल कॉलेज, 10 आर्युवेदिक कॉलेज व अन्य पैरामेडिकल कॉलेजों से पढ़कर देश के कोने कोने में अपनी सेवाएं देकर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में जिले की तमाम उपलब्धियों के बारे में भी चर्चा कर चिकित्सकों और अतिथियों की समस्या पर मंथन की शुरुआत की।
 


कैंसर के मरीज ने बदला डॉ. केशव का नजरिया 
कार्यक्रम में शिरकत कर रहे बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डा. केशव कुमार अग्रवाल ने बताया कि रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज व अस्पताल के पीछे एक कैंसर के अंतिम स्टेज में पहुंच चुका मरीज है। बताया कि अपनी डाक्टरी की पढ़ाई कर मुंबई के एक नामी अस्पताल में बतौर सहायक सर्जन कार्यरत थे। उनके वरिष्ठ सहयोगी ने उनकी योग्यता को देखते हुए उन्हें अपने जिले में ही रह कर लोगों की सेवा करने की प्रेरणा दी। यहां आने पर अस्पताल खुलने के पहले दिन ही पेट में  कैंसर के अंतिम स्टेज का मरीज आया, जिसे तमाम डाक्टर बता चुके थे की वो महज सात दिन तक ही जीवित रहेगा। डा.केशव ने उसका उपचार किया और करीब एक माह बाद पैदल उनसे मिलने अस्पताल आया जो चारपाई पर दिखाने आया था । वह मरीज लगातार 22 सालों तक अपनी जांच कराने उनके पास आता रहा। बताया कि मरीज का ठीक होना ही उनकी प्रेरणा का कारण बना। आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए कैंसर के उपचार के लिए रेडियोलॉजी सहित तमाम सुविधाएं यहां स्थापित करने के साथ मेडिकल कॉलेज की शुरुआत की। उस मरीज की प्रेरणा से आम लोगों के लिए सदा बढ़ते रहने को प्रेरित करती रहती है। 

एम्स की तर्ज पर बरेली में अस्पताल खुलवाने का प्रयास 
हेल्थ केयर कान्क्लेव में वनमंत्री डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि बरेली में एम्स की तर्ज पर अस्पताल खुलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री से इस पर सकारात्मक बात हुई है। पहले सरकारी मेडिकल कॉलेज खुलवाने के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया था, इस पर उन्होंने कहा कि बरेली में तो पहले से ही तीन प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं, इसलिए एम्स स्तर के अस्पताल को बनवाने पर बात चल रही है। आयुष्मान भारत योजना के भुगतान न होने को लेकर कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर इलाज से पहले कमेटी अस्पताल को अप्रूवल देती है तो फिर बाद में भुगतान नहीं रोकना चाहिए। ईएसआई हॉस्पिटल को भी जल्द ही चालू कराने की बात कही है। बोले कि ये हॉस्पिटल जल्द ही शुरू होगा, जिसमें हार्ट के स्टंट, बाईपास सर्जरी जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। आम लोगों को भी इलाज की सुविधा मिल सकेगी। कहा कि ग्रामीण इलाकों में पीएमएस के डॉक्टरों की कमी है। सरकार लगातार यूपी में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रयासरत है। मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाए जा रहे हैं। नर्सिंग होम के संचालन में प्रदूषण को लेकर कहा कि अगर किसी को इसकी वजह से रजिस्ट्रेशन कराने में समस्या आ रही है तो उनसे संपर्क कर सकते हैं।

गांवों में सुधार के लिए डाक्टरों का समय देना जरूरी 
नवाबगंज विधायक डा. एमपी आर्य ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के लिए शहर के डॉक्टरों को भी वहां समय देने की जरूरत है। एक समय था जब क्षेत्र की सड़कें जर्जर हुआ करती थीं। लोगों को आवागमन में दिक्कत होती थी। बरखन तक दो घंटे लगते थे। अब यह सफर महज 20 मिनट में तय हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति भी काफी हद तक बदल चुकी है। 

तेजी से हो रहा है क्षेत्र का विकास 
कैंट विधायक संजीव अग्रवाल ने कहा कि हर क्षेत्र में शहर में तेजी से विकास हो रहा है। बरेली में मेट्रों की सुविधा मिलने जा रही है। नाथ कॉरिडोर का काम किया जा रहा है। तीन सौ बेड अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने को लेकर वार्ता हुई है। बहुत जल्द ही इसकी सौगात मिलेगी। मेडिकल के क्षेत्र में प्रदेश में बरेली का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर निजी क्षेत्र के तीन मेडिकल कॉलेज हैं। अच्छा इलाज होता है। मरीजों की दिल्ली समेत दूसरे राज्यों की भागदौड़ बच गई है। 

डॉक्टरों को अब नहीं कराना होगा हर साल नवीनीकरण 
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि पधारे बिथरी चैनपुर विधायक डा. राघवेद्र शर्मा ने सभी डॉक्टरों को आश्वस्त करते हुए बताया कि अब अस्पाल का हर साल रिन्यूवल नहीं  कराना होगा। रिन्यूवल की समयसीमा बढ़ाकर 5 साल की जाएगी। इस दिशा में उच्च स्तर पर सकारात्मक दिशा में बात हो रही है। कहा कि कुछ चिकित्सक ऐसे हैं जिनके नाम पर पांच-पांच पंजीकरण हुए हैं। इससे झोलाछाप को बढ़ावा मिल रहा है। इस पर सरकार काम कर रही है। चिकित्सकों से अपील की एक डाक्टर अपने नाम पर एक ही पंजीकरण कराए।   
 
पिता जैसी तकलीफ और किसी को न हो...
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि पधारे एसआरएमएस के चेयरमैन राममूर्ति ने बताया कि उनके पिता की तबियत खराब होने पर यहां जरूरी चिकित्सा उपचार नहीं था। आनन फानन में हेलिकॅाप्टर  के जरिए तत्काल दिल्ली के अस्पताल में ले जाया गया। उन दिनों उनके वृद्ध पिता को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा था। कहा कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी के चलते उन्हें बाहर ले जाया गया था। लेकिन तभी यह संकल्प ले लिया था कि यहां से किसी को किसी भी बीमारी के उपचार के लिए बाहर न जाना पड़े इसके लिए हर हाल में एक ही छत के नीचे सभी उच्च चिकित्सा सुविधाएं स्थापित करेंगे। करीब 20 साल से अपने संकल्प को अनवरत रूप से पूरा करने में जुटे हुए हैं। 
 
मशीनों से जीएसटी हटे तो और बेहतर हो सकती हैं चिकित्सा सुविधाएं 
वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डा. मोहित अग्रवाल ने अतिथियों के समक्ष कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में तमाम रोगों के उपचार के लिए मशीनों पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर)  बहुत अधिक लिया जाता है। इस कारण ज्यादातर अस्पतालों में जरूरत होते हुए भी डॉक्टर सभी जरूरत की और मशीनें नहीं ले पाते। कहा कि जीएसटी में कमी कर दी जाए तो निश्चित रुप से चिकित्सा के क्षेत्र में और बेहतर सेवाएं दी जा सकती हैं। 

वैक्सीनेशन से रोका जा सकता है गर्भाशय का कैंसर 
हेल्थ केयर कॉन्क्लेव में चर्चा कर रही स्त्री रोग विशेषज्ञ सोसायटी की अध्यक्ष डा. मृदुला शर्मा ने बताया कि आम तौर पर आजकल महिलाओं में स्तन कैंसर की अधिकता देखी जा रही है। गर्भाशय का कैंसर से भी महिलाएं जागरुकता के आभाव में अधिक पीड़ित हैं। ह्यूमन पैपीलोमा वायरस से होने वाले इंफेक्शन से यह कैंसर फैलता है। लेकिन खास बात यह है कि कैंसर के इस रुप से बचाव के लिए 9 से 14 साल तक की बालिकाओं का वैक्सीनेशन हर हाल में होना चाहिए। इसके लिए सरकार को प्रभावी रूप से जागरुकता अभियान भी चलाना चाहिए। ताकि आने वाले दिनों में बालिकाएं इस घातक कैंसर से सुरक्षित रहें। 

खत्म हो हर साल एनओसी और रजिस्ट्रेशन कराने की झंझट 
 अस्पतालों और डाक्टरों की समस्याओं को रखते हुए आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ) अध्यक्ष डा. आरके सिंह ने कहा कि अस्पतालों के संचालन  के लिए उन्हें हर साल तमाम विभागों से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेना पड़ता है और रजिस्ट्रेशन कराने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसमें दो महीने तक का समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को समाप्त कर कम  से कम 5 साल का रजिस्ट्रेशन किया जाए। जिससे चिकित्सकों और अस्पताल संचालकों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

भुगतान में देरी से अस्पतालों का संचालन होता है प्रभावित 
इस दौरान कॉन्कलेव में शिरकत कर रहे यूपी आईएमए के पूर्व उपाध्यक्ष डा. रवीश अग्रवाल ने कहा कि  सरकार की आयुष्मान योजना लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसमें गरीबों को मुफ्त इलाज मिल रहा है। लेकिन हकीकत यह भी है कि भुगतान में देरी ने संचालकों की कमर तोड़ दी है। तीन महीने तो कोई छह महीने से भुगतान नहीं होने से परेशान है। करोड़ों रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। कुछ राज्यों में चिकित्सकों ने आयुष्मान का भुगतान न मिलने की वजह से इलाज करना बंद कर दिया है। यदि भुगतान में इसी तरह देरी होती रही तो निश्चित ही कुछ ही समय में संचालकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

ईएसआई में चुनिंदा अस्पताल ही जोड़े गए हैं
उद्यमी राजेश गुप्ता ने कहा कि ईएसआई अस्पताल के लिए जगह चिन्हित होने के बाद भी निर्माण शुरू नहीं होने से कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को काफी असुविधा होती है। ईएसआई में चुनिंदा अस्पताल जोड़े गए हैं। जबकि शहर में कई मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल हैं। कर्मचारियों को कागजी प्रकिया पूरी करने में यहां काफी दिक्कतें होती हैं। पैनल में अधिक से अधिक अस्पताल जोड़ने, ईएसआई अस्पताल का निर्माण शीघ्र शुरू कराने समेत कर्मचारी हित की कई मांगें रखीं ताकि सभी सुविधाएं उनको एक ही जगह एक प्लेटाफार्म पर मिल सकें।

अमृत विचार का जनप्रतिनिधियों और चिकित्सकों को जोड़ने का प्रयास बेहतरीन  
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डा. विनोद पागरानी ने कहा कि अमृत विचार ने एक प्लेटफार्म पर चिकित्सकों और जनप्रतिनिधियों को जोड़ने का बहुत बेहतरीन प्रयास किया है। उम्मीद है हमारी समस्याएं सरकार तक पहुचेंगी और समाधान भी होगा। आज बड़ी समस्या आयुष्मान के भुगतान को लेकर है। सरकार की ओर से भुगतान की कुछ फाइल्स कैंसिल हो रही हैं। वह भी तब जब मरीज का एप्रूवल मिलने के कारण मरीज के इलाज के दौरान एमसीआई में रजिस्ट्रेशन नहीं होना बताया जाता है। जबकि वास्तविक्ता यह है कि किसी ने नेशन काउंसिल तो किसी ने स्टेट काउंसिल आदि में पंजीकरण करा रखा है।

पारंपरिक शिक्षा से हट कर टेक्निकल शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी 
साइकिलिस्ट रवींद्र सिंह ओबराय ने कहा कि बदलते परिवेश में बुक्स एजुकेशन से हटकर अब टेक्निकल एजुकेशन पर जोर देने की जरूरत है। बरेली में इंटरनेशनल राइडर आते हैं। कारण यह है कि विदेशों में फिटनेस पर फोकस रहता है। वहां के स्कूल और कॉलेजों में बच्चों को टेक्निकल एजुकेशन दी जाती है। मेयर उमेश गौतम और बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डा. केशव कुमार अग्रवाल से अपील की वह भी अपने प्रतिष्ठानों में बच्चों को इसके लिए प्रेरित करें। 

सब कुछ तो है... सरकारी मेडिकल कॉलेज बन जाए
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अतुल अग्रवाल ने कहा कि बरेली अब काफी बदल चुका है। मेडिकल हब के रूप में इसकी पहचान बन चुकी है। जिले में अब मानसिक चिकित्सालय की आवश्यकता नहीं है, तीन सौ बेड और मानसिक चिकित्सालय को जोड़कर एक मेडिकल कॉलेज बरेली में बनाने की जरूरत है। इसके अलावा एक बड़ी समस्या मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया में पंजीकरण को लेकर है। जो आसानी से नहीं होता। जबकि लंबे समय से तमाम चिकित्सक बरेली में ही प्रैक्टिस कर रहे हैं।      -                                    --                         

ये डॉक्टर और अधिकारी भी पहुंचे कॉन्क्लेव में
हेल्थ कॉन्क्लेव में स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमओ डॉ. लईक अहमद अंसारी, जिला अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एलके सक्सेना, टेली मेडिसिन प्रभारी डॉ. रिषभ शुक्ला, डॉ. वैभव शुक्ला, डॉ. अहमद अली, आईएमए यूपी के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. रवीश अग्रवाल, वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. सुदीप सरन, डा. अनूप आर्या, पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजीव गोयल, खुशलोक अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. विनोद पागरानी, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज बंसल और आईएमए के इलेक्टेड प्रेसिडेंट डॉ. अतुल श्रीवास्तव आदि ने भी हिस्सा लिया।          

ये हुए सम्मानित 


  • लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड - देवमूर्ति, एसआरएमएस, चेयरमैन
  • एक्सीलेंस इन गायनोकॉलोजिस्ट- डॉ. मृदुला शर्मा, अध्यक्ष, ओबस्ट्रेसियन एंड गायनोकॉलोजिस्ट सोसाइटी
  • एक्सीलेंस इन वेटनरी फिजिशियन एंड जनरल सर्जन- डा. काजल गुप्ता
  • एक्सीलेंस इन होम्योपैथिक- डॉ. प्रेम गंगवार, प्रेम जर्मन होम्योपैथिक
  • बेस्ट सेक्सोलॉजिस्ट - डॉ. बी प्रसाद, निरोग्या क्लिनिक
  • मेडिकल इंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर - डा. अर्चना अग्रवाल, साईं सुखदा हॉस्पिटल
  • एक्सीलेंस इन एमएस ऑर्थोपेडिक्स- डा. प्रमेंद्र माहेश्वरी, गंगा चरण हॉस्पिटल
     
    लीडरशीप एक्सीलेंस इन फारमाक्यूटीकल मैन्यूफैक्चरिंग- संजीव जैन व संदीप जैन, एकम्स ड्रग्स एंड फार्मा. लि.
  • एम्बीसंस कूलिंग कॉपोर्रेशन अरविंद कुमार, एके सिन्हा, एलआईसी ऑफ इंडिया