हाईकोर्ट ने लोक अभियोजक के खिलाफ कार्रवाई का प्रमुख सचिव विधि को दिया आदेश, जानें पूरा मामला

हाईकोर्ट ने लोक अभियोजक के खिलाफ कार्रवाई का प्रमुख सचिव विधि को दिया आदेश, जानें पूरा मामला

लखनऊ, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़ित द्वारा अभियोजन कथानक का पूरी तरह समर्थन करने के बावजूद लोक अभियोजक ने पीड़ित को होस्टाइल (पक्षद्रोही) घोषित करने का अनुरोध ट्रायल कोर्ट से कर दिया और ट्रायल कोर्ट ने उक्त अनुरोध को स्वीकार भी कर लिया।

न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए, प्रमुख सचिव, विधि को आदेश दिया है कि वह इस मामले को देखें और संबंधित लोक अभियोजक के विरुद्ध कार्रवाई करें। इसी के साथ न्यायालय ने ट्रायल की प्रक्रिया कर रहे अपर सत्र न्यायाधीश 16, लखनऊ की कोर्ट से किसी अन्य कोर्ट में मामले को स्थानांतरित करने का आदेश जनपद न्यायाधीश लखनऊ को दिया है।
 
यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने यश प्रताप सिंह की जमानत याचिका पर पारित किया। न्यायालय ने उक्त अभियुक्त की जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है। विभूति खंड थाने से सम्बंधित हत्या के प्रयास के उक्त मामले में अभियुक्त की ओर से यह कहते हुए, जमानत पर रिहा किए जाने की मांग की गई थी कि मामले का पीड़ित होस्टाइल हो चुका है। 

न्यायालय ने पत्रावली के अवलोकन पर पाया कि मुख्य परीक्षा के दौरान पीड़ित ने अभियोजन केस का पूरी तरह से समर्थन किया, बावजूद इसके सरकार की ओर से पेश लोक अभियोजक ने पीड़ित को होस्टाइल करार देने के लिए ट्रायल कोर्ट से अनुरोध किया। न्यायालय ने अपने आदेश में आश्चर्य जताते हुए कहा कि उक्त अनुरोध को ट्रायल कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया और पीड़ित को होस्टाइल घोषित कर दिया। 

न्यायालय ने यह भी पाया कि पीड़ित की प्रति परीक्षा लगभग ढाई महीने तक चलती रही, इस दौरान ट्रायल कोर्ट ने प्रति परीक्षा के लिए लंबी-लंबी तारीखें दीं और 12 जून 2024 को हुई प्रति परीक्षा के दौरान पीड़ित ने अभियुक्त द्वारा हमला न करने की बात कही। न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले भी इस बात की चिंता जाहिर की जा चुकी है कि लंबी तारीखों तक चलने वाली प्रति परीक्षा के दौरान गवाहों का अभियुक्त के पक्ष में बयान दिया जाना गंभीर विषय है। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में तो पीड़ित को जब होस्टाइल घोषित किया गया तब वह वास्तव में अभियोजन केस का समर्थन कर रहा था। इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया व प्रमुख सचिव, विधि तथा जनपद न्यायाधीश लखनऊ को उपरोक्त आदेश पारित किया।

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