कोर्ट ने चोरी के आरोपी की जमानत की खारिज, कहा- यह मामला ‘जमानत नियम है’ के सिद्धांत से अलग

 कोर्ट ने चोरी के आरोपी की जमानत की खारिज, कहा- यह मामला ‘जमानत नियम है’ के सिद्धांत से अलग

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मोबाइल फोन झपटने के एक आरोपी की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि यह मामला ‘जमानत नियम है’ के सिद्धांत से अलग है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी आरोपी विकास रावत की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। 

रावत मधु विहार इलाके में एक मोबाइल झपटने के मामले में आरोपी है। न्यायाधीश ने 19 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘अदालत वकील (आरोपी के) की इस दलील से सहमत है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है, लेकिन अदालत का मानना ​​है कि मौजूदा मामला इस सिद्धांत का उल्लंघन है।’’ 

पीठ ने कहा कि यह पता नहीं चल पाया है कि मामले में गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों में से कौन चोरी के समय मोटरसाइकिल चला रहा था और कौन पिछली सीट पर बैठा था। न्यायाधीश ने कहा कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार रावत पहले भी इस तरह की वारदात में शामिल रहा है। 

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अदालत का मानना है कि पहली बार अपराध करने वाले के साथ नरमी से पेश आना चाहिए और यदि अपराधी दोबारा अपराध करता है तो न्यायालय को उसके साथ सख्ती बरतनी चाहिए।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत का यह भी विचार है कि सबसे जघन्य अपराध में भी आरोपी को जमानत दी जा सकती है, अगर अपराध किसी मजबूरी में या किसी विशेष परिस्थिति में किया गया हो और अदालत को ऐसा प्रतीत हो कि आरोपी एक ही अपराध को बार-बार अंजाम नहीं देगा।’’ 

पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में रावत को अपराध करने के तुरंत बाद एक पुलिस अधिकारी ने उसका पीछा करके पकड़ लिया था। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसके अलावा, यह और भी महत्वपूर्ण है कि आरोपपत्र अभी दाखिल नहीं हुआ है और जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, अदालत आवेदक को राहत देना उचित नहीं समझती। ऐसे में जमानत याचिका खारिज की जाती है।’’ 

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