बरेली: राजकुमार अग्रवाल...पन्नों में सिमटा बरेली शहर के इतिहास का एक अध्याय
बरेली, अमृत विचार: पहले मेयर के तौर पर बरेली को शहर बनाने की बुनियाद रखने वाले राजकुमार अग्रवाल नहीं रहे। सोमवार सुबह 7 बजे 88 साल की उम्र में उन्होंने अपने बरेली को अलविदा कह दिया। शाम को सिटी श्मशान भूमि पर उनका अंतिम संस्कार हुआ जहां बेटे रवि प्रकाश अग्रवाल ने उन्हें मुखाग्नि दी। सभी प्रमुख दलों के नेताओं के साथ शहर भर की हस्तियां भी उन्हें अंतिम विदाई देने सिटी श्मशान भूमि पहुंचीं।
उम्र भर स्पष्टवादी नेता के रूप में पहचान रखने वाले राजकुमार अग्रवाल ने चंद रोज पहले 15 अक्टूबर को अपना 88वां जन्मदिन मनाया था। इसके दाे ही दिन बाद वह बीमार हो गए, लगातार इलाज के बाद भी उनकी तबीयत सुधर नहीं पाई। सोमवार सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके निधन का पता लगते ही रामपुर बाग स्थित उनके आवास पर राजनीतिक, सामाजिक और व्यापारिक क्षेत्र के लोगों का तांता लगना शुरू हो गया। राजकुमार अग्रवाल अपने पीछे पत्नी सत्यवती के अलावा पुत्र रवि प्रकाश अग्रवाल और नवीन अग्रवाल के साथ भरापूरा परिवार छोड़ गए।
देर शाम तक श्रद्धांजलि देने के लिए लोग उनके आवास पर पहुंचते रहे। कैंट विधायक संजीव अग्रवाल, मेयर उमेश गौतम, पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर, पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन, मीरगंज विधायक डॉ. डीसी वर्मा, कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष अजय शुक्ला, भाजपा नेता प्रशांत पटेल, किशोर कटरु, वीरेंद्र अटल, श्रुति गंगवार, प्रमोद अग्रवाल, भाजपा महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना, मनीष अग्रवाल, आलोक कुमार, सीपीएस चौहान, वेद प्रकाश, भाजपा आंवला जिलाध्यक्ष आदेश प्रताप सिंह, विजयपाल, बीपी सिंह, पीपी सिंह, कांग्रेस नेता केबी त्रिपाठी समेत कई हस्तियां उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचीं।
हारी बाजी पलटकर बने पहले मेयर
बरेली को सन् 1989 में महापालिका का दर्जा प्राप्त हुआ था। पहला चुनाव हुआ तो 48 सभासद चुनकर सदन में पहुंचे जिनमें भाजपा के सिर्फ 14 थे, बाकी दूसरी पार्टियों के साथ निर्दलीय थे। मेयर के बजाय तब नगर प्रमुख का पद हुआ करता था जिसके लिए भाजपा की ओर से राजकुमार अग्रवाल का नाम तय किया गया। सभासदों की संख्या काफी कम होने के बाद भी राजकुमार अग्रवाल ने कुशल रणनीति के दम पर बड़े अंतर से कांग्रेस के दावेदार जसवंत प्रसाद बब्बू के खिलाफ जीत दर्ज की। हालांकि पहली बार में वह 10 फरवरी 1989 से 28 नवंबर 1990 तक ही मेयर रह पाए, इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव के आने के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा। दूसरे चुनाव में वह फिर जीते और 19 अगस्त 1991 से 7 फरवरी 1994 तक मेयर रहे।
सियासी शुरुआत
बरेली कॉलेज से एलएलबी करने के बाद राजकुमार अग्रवाल ने दो साल तक वकालत भी की। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से पहले से जुड़ाव था, बाद में जनसंघ और भाजपा के साथ सक्रिय हुए। इमरजेंसी का विरोध और राममंदिर आंदोलन का समर्थन करने पर जेल भी गए।
ससुराल से लाए कपड़े के साथ डॉ. दिनेश जौहरी को दे दी विधायकी की दावेदारी
भाजपा नेता वीरेंद्र अटल ने यादें साझा करते हुए बताया कि 1984 में शहर विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक के निधन के बाद उपचुनाव हुआ तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कल्याण सिंह ने राजकुमार अग्रवाल को प्रत्याशी घोषित कर दिया। घोषणा के दौरान राजकुमार अग्रवाल लखनऊ में ही थे जो वहां से सीधे कानपुर पहुंचे जहां उनकी ससुराल में कपड़े का व्यापार होता था। वहां से झंडे-बैनर बनाने के लिए कपड़ा लेकर वह अपनी एंबेसडर कार से बरेली लौटे तो पता चला कि डॉ. दिनेश जौहरी ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन करा दिया है।
नाम वापसी वाले दिन सुबह पांच बजे ही राजकुमार अग्रवाल ने डॉ. दिनेश जौहरी को घर बुलाया। उनका तिलक कर एक लिफाफे के साथ ससुराल से लाया कपड़ा उनके सुपुर्द कर दिया। डॉ. दिनेश जौहरी कांग्रेस प्रत्याशी राम सिंह खन्ना को हराकर चुनाव जीत गए। इसी चुनाव से राजकुमार अग्रवाल का भाजपा के बड़े नेताओं साथ उठना-बैठना होने लगा था।
राजनीति में शीर्ष नेताओं के प्रिय
राजकुमार अग्रवाल 1982 से 1983 तक भाजपा के शहर अध्यक्ष रहे। अपने राजनीतिक जीवन में वह अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह और सुंदर सिंह भंडारी जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं के प्रिय माने जाते थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार भी उनके काफी करीब थे। परिवार के लोगों के मुताबिक संतोष गंगवार चुनाव मैदान में उतरने से राजकुमार अग्रवाल का आशीर्वाद जरूर लेते थे।
उद्यमिता कौशल का भी तोड़ नहीं
राजनीतिक होने के साथ राजकुमार अग्रवाल कुशल उद्यमी भी थे। मिट्टी के तेल का कारोबार से उन्होंने शुरुआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1964 में ज्योति आयल मिल के नाम से गंगापुर में फर्म खोली जिसकी सप्लाई उत्तराखंड और यूपी के कई जिलों में थी। करीब आठ साल उत्तर प्रदेश केरोसिन डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। दो जगह पेट्रोल पंप भी खोले।
इत्तफाक : राजकुमार अग्रवाल और पूर्व सांसद राजवीर सिंह दोनों का जन्मदिन 15 अक्टूबर था। राजवीर सिंह के जीवित रहते दोनों में छनती भी काफी गहरी थी।
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