12 दिनों में 14 लाख लोगों ने देखी रुदौली की रामलीला : सोशल मीडिया पर भी छाई कलाकारों की प्रतिभा
रुदौली/ अयोध्या, अमृत विचार : रुदौली के ख्वाजा हाल में इस बार 12 दिनों तक चली रुदौली रामलीला ने नया रेकार्ड बनाया है। विभिन्न नए प्रयोगों के जरिए हुए मंचन के दौरान जहां उसे बड़ी संख्या में दर्शक मिले वहीं सोशल मीडिया पर प्रसारण का प्रयोग नया आयाम गढ़ गया। सबसे खास बात यह है कि इस रामलीला में पात्र निभाने वाले अधिकतर व्यवसायिक पृष्ठभूमि से रहे। इसे लेकर रूदौली विधायक रामचंद्र यादव ने समिति को बधाई देते हुए रुदौली का नाम रोशन करने पर हर्ष जताया है।
समिति के सोशल मीडिया प्रभारी यश बंसल ने 'अमृत विचार' को बताया कि 12 दिन तक चलने वाली रामलीला का सोशल मीडिया पर भी प्रसारण किया गया। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से भारत सहित 10 देशों में रुदौली की रामलीला देखी गई। इन देशों मे सऊदी अरब, ओमान, मलेशिया, भूटान, कुवैत और पाकिस्तान सहित अन्य देश शामिल हैं। बताया कि रुदौली की रामलीला के प्रेमी जिन्होंने इस लीला का मंचन आनलाइन देखा उनकी संख्या इस वर्ष 14 लाख पार कर गई है। जिसे समिति ने रेकार्ड के रूप में दर्ज किया है।
पूर्वजों की परम्मरा का भी होता है निर्वाह
रुदौली की रामलीला से लोगों का जुड़ाव इस कदर है की दशकों पहले व्यवसाय करने के लिए दूसरे शहरों में रहने वाले रुदौली के लोग परंपरा का निर्वाह करने के लिए लीला के दौरान रुदौली अवश्य आते हैं। रामलीला समिति के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय विनोद गर्ग को धनुष यज्ञ की लीला अत्यंत प्रिय थी वो इस लीला को देखने के लिए लखनऊ से आते थे, उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र पीयूष अग्रवाल ने इस क्रम को आज भी बनाए रखा है। ऐसे ही राम राज्याभिषेक के दिन श्यामजी अग्रवाल लखनऊ से सपरिवार आते हैं। रुदौली के अनेक परिवार जयपुर, फ़ैज़ाबाद, दिल्ली, नोएडा से रामलीला के दौरान हर वर्ष मंचन देखने आते हैं।
पर्दे के पीछे भी होती है कइयों की अहम भूमिका
रामलीला में मंच पर अभिनय कर रहे कलाकारों का काम सब को दिखाई देता है लेकिन मंचन को प्रभावशाली बनाने में निर्देशक, मंच सज्जा, वस्त्र सज्जा, प्रकाश व्यवस्था एवं रूप सज्जा आदि का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। रूप सज्जा करने वाले रामकिशोर कसौधन ने बताया की वह पिछले 25 साल से समस्त कलाकारों का मेकअप करते है। ऐतिहासिक काल, तथ्य और मंच परिकल्पना को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य निर्देशक कमलेश मिश्रा व सह निर्देशक मृदुल अग्रवाल ने संभाल रखा था। मंच सज्जा का कार्य शोभित अग्रवाल, प्रमित अग्रवाल संचित अग्रवाल विनायक अग्रवाल व शिवम कसौधन एवं वस्त्र सज्जा का कार्य ऋषि बंसल, श्याम यज्ञसैनी, निलेश अग्रवाल एवं शिवांग कसौधन संभाले रहे।
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