... और धू-धू कर जल उठी सोने की लंका, रुदौली की ऐतिहासिक रामलीला में हुआ सुग्रीव मित्रता और बाली वध का मनोहारी मंचन
भेलसर/अयोध्या, अमृत विचार। रुदौली की ऐतिहासिक श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में चल रही रामलीला में 7वें दिन बुधवार को सुग्रीव की मित्रता, बाली वध और लंका दहन का जीवंत मंचन किया गया। मंचन में दिखाया गया की हनुमान जी श्रीराम की अपने राजा सुग्रीव से मित्रता कराते हैं। सुग्रीव भगवान राम को अपने भाई बाली के बारे में बताता है, जिससे भगवान राम बाली का वध करने की बात करते हैं।
बाली और सुग्रीव के युद्ध के दौरान दोनों भाइयों के एक जैसा दिखने पर भगवान राम परेशान हो जाते हैं। श्रीराम सुग्रीव को दोबारा युद्ध करने के लिए भेजते हैं और बाली का वध कर देते हैं। इस प्रसंग में मनीष चौरसिया ने हनुमान , गणेश अग्रवाल ने बाली , राजकुमार ने तारा एवं सौरभ गुप्ता ने सुग्रीव का अभिनय कर दर्शकों से वाहवाही लूटी। बाली का वध करने के बाद राम हनुमान को लंका में सीता जी की कुशलता लेने के लिए भेजते हैं। जहां पर हनुमान अशोक वाटिका का तहस-नहस कर देते हैं, जिससे रावण अपने पुत्र मेघनाथ को भेजता है और हनुमान को पकड़कर लाने का आदेश देता है।
मेघनाथ हनुमान को पकड़ कर दरबार में लेकर आ जाते हैं। जहां रावण और हनुमान के बीच संवाद होता है, जिससे रावण क्रोधित होकर अपनी राक्षस सेना को हनुमान की पूछ में आग लगाने का आदेश देते हैं। हनुमान जी पूछ में आग लगने के बाद पूरी लंका को जलाकर स्वाह कर देते हैं। समुद्र में कूद कर अपनी पूंछ की आग बुझाने के बाद वह वापस लौट जाते हैं।
रावण का अभिनय कर रहे रामजी अग्रवाल और हनुमान का अभिनय कर रहे मनीष चौरसिया के जीवंत अभिनय व संवाद को दर्शकों ने खूब पसंद किया। तुषार गर्ग ने विभीषण, पुनीत कसौधन ने मेघनाथ एवं कोमल साहू ने मंदोदरी का अभिनय कर मंचन को जीवंत किया। हनुमान जी द्वारा प्रभु की आरती के साथ लीला का समापन हुआ।
रामलीला में है ब्रज, अवध और पूर्वांचल का संगम
रुदौली की रामलीला में ब्रज के रामायणी, स्थानीय कलाकारों के उच्च कोट के अभिनय और पूर्वांचल की शास्त्रीय नृत्यकाओं ने समा बांध रखा है। स्थानीय कलाकारों द्वारा अभिनय करने पर मंचित प्रसंगों को जीवंत करने के लिए वृंदावान ( बृज) से पधारे पंडित आनंद चतुर्वेदी द्वारा सुंदर भजन एवं राम चरित मानस की चौपाई लोगों को मुग्ध कर रही है। पूर्वांचल से आई शास्त्रीय नृत्यकाओं मुस्कान यादव और कोमल द्वारा मंचन पर गरिमामय नृत्य की प्रस्तुति सुंदर रही।
रोजाना तीन से चार हजार दर्शक देखते हैं रामलीला
135 वर्ष पुरानी रामलीला में आज भी 2 से 3 हजार लोग आते हैं। इसका पूरा श्रेय जाता है निर्देशक कमलेश मिश्रा एवं सह निर्देशक मृदुल अग्रवाल द्वारा नई तकनीक के प्रयोग को जाता है। मृदुल अग्रवाल ने बताया की 6 वर्ष पूर्व जब पहली बार हमने एलईडी के माध्यम से लंका दहन का दृश्य दिखाया तो अगले दिन उनके पास फोन आए की क्या कल मंच पर आग लग गई थी? जिन्होंने भी इस दृश्य को देखा वो आश्चर्यचकित रह गये थे। इसीलिए यह रामलीला लोगों की पसंद बनी हुई है।