अप्रत्याशित नतीजे

अप्रत्याशित नतीजे

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे तमाम विश्लेषणों और सर्वेक्षणों के उलट साबित हुए। चुनाव बाद हुए सभी सर्वेक्षण हरियाणा में कांग्रेस की शानदार विजय और भाजपा की बुरी हार घोषित कर चुके थे। अब हर कोई चुनाव परिणामों से हैरान है। जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया जा रहा था, मगर वहां भी नतीजे सर्वेक्षण के विपरीत आए। जम्मू-कश्मीर में जनता ने जहां अलगाववादी ताकतों के हिमायती दलों को नकार दिया है, वहीं विकासवादी व शांति के हिमायती दलों को मौका दिया है।

संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधान के हटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव था। चुनावी विश्लेषक यह उम्मीद कर रहे थे कि भाजपा को अच्छी बढ़त मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने मिलकर बहुमत से अधिक सीटें हासिल की हैं। हरियाणा चुनाव में जाट और गैर-जाट का मुद्दा निर्णायक साबित हुआ। जाट कांग्रेस की तरफ केंद्रित हो गए थे। यद्यपि कांग्रेस ने गैर-जाट को अपनी तरफ करने की भरपूर कोशिश की, पर उसमें कामयाब नहीं हो सकी।

इस बार आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी आदि दलों ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन ये दल चार फीसद से अधिक वोट हासिल नहीं कर सके। भाजपा के प्रतिबद्ध मतदाता इधर से उधर नहीं हुए। छोटे दलों ने जो वोट अपने पाले में खींचे, वे अगर मिल जाते, तो कांग्रेस को बहुमत मिल सकता था, मगर भाजपा ने चुनाव से कुछ समय पहले मुख्यमंत्री बदलकर और गैर-जाट वोट को आकर्षित कर शानदार विजय सुनिश्चित कर ली। 

हरियाणा ने अपनी स्थापना के 58 साल में पहली बार इतिहास रचा, जिसमें किसी पार्टी को लगातार तीसरी बार जनादेश मिला। यहां भाजपा ने सत्ता की हैट्रिक लगाकर एंटी इन्कम्बेंसी के फैक्टर को धराशायी किया ही साथ ही लगातार तीन बार सत्ता हासिल करने वाली पहली पार्टी बन गई है। भाजपा ने एक बार फिर नायब सैनी जैसे नए चेहरे के साथ दांव खेला और बेहतर परिणाम मिला। भाजपा हमेशा की तरह एकजुट होकर लड़ी और उसे संघ का पूरा साथ मिला।

भाजपा की यह जीत उसके दस वर्ष के कामकाज की भी विजय है। जनता ने एक बार फिर भरोसा जताकर भाजपा की हरियाणा के प्रति जिम्मेदारी को बढ़ा दिया है। दोनों चुनावों में लोकतंत्र ने अपनी ताकत दिखाई है। हालांकि दोनों राज्यों में सरकारों के सामने चुनौतियां कठिन हैं। हरियाणा में भाजपा के लिए विश्वास जीतने की चुनौती है तो कश्मीर में केंद्र के साथ तालमेल बनाए रखने की।