पीलीभीत: नियम का उल्लंघन और सफर में लापरवाही, ऐसे होगी हादसों की रोकथाम?
पीलीभीत, अमृत विचार : सड़क हादसों की रोकथाम के लिए यातायात नियमों का पालन कराने पर शासन प्रशासन जोर दे रहा है। कार्रवाई के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन लंबे समय बाद भी हालात बदतर हैं। सवारी वाहनों की बात करें तो अधिक सवारियां ढोई जा रही हैं। पायदान पर सफर बरकरार है। बिना फिटनेस वाहनों का भी संचालन किया जा रहा है। कोई कम खर्च तो कोई अन्य सुविधा न होने के कारण मजबूरन इन डग्गामार वाहनों में जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। बीसलपुर, पूरनपुर, टनकपुर समेत अन्य मुख्य मार्गों पर दिनभर डग्गामार वाहन दौड़ रहे हैं। जिनमें नियमों को ताक पर रखकर सफर जारी है।
जिला मुख्यालय से पूरनपुर, बीसलपुर, अमरिया, बरेली आदि रूट पर टेंपो और मैजिक का संचालन बड़ी संख्या में होता है। प्रतिदिन इन सभी रूटों पर पांच हजार से अधिक वाहन संचालित हैं। स्थानीय तौर पर सभी का टैक्सी स्टैंड का ठेका चल रहा है। नियम है कि यहां से निर्धारित सीट के आधार पर वाहनों को रवाना किया जाता है, लेकिन हकीकत में अधिक रुपये कमाने के लालच में सवारियों की जिंदगी से खिलवाड़ जारी है।
सबसे बुरी स्थिति बीसलपुर और माधोटांडा मार्ग की है। इन पर नाममात्र बसें हैं। ऐसे में वाहनों में क्षमता से कई गुना अधिक सवारी बैठाई जा रही हैं। यात्रियों की मानें तो कई बार सीट के बजाय वाहन की छत और पिछली ओर लटक कर सफर करना मजबूरी है।
स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं भी रोजाना ऐसे ही हालात में सफर करने को विवश हैं। कहने को तो टेंपों में पांच सवारी का पास है, मगर इसमें आठ से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। इतना ही नहीं उसके अलावा टेंपो के पीछे लगे स्टैंड पर भी लोग सफर तय कर रहे हैं। जोकि हादसे का कारण बनता है। इतना ही नहीं सड़कों पर सवारी नहीं मिल रही है। कई बार हादसे हो चुके हैं। इसके बाद कुछ दिन कार्रवाई की गई लेकिन फिर स्थिति जस की तस बन चुकी है। हाल ही में पूरनपुर मार्ग पर एक ओवरलोड टेंपो पलट गया था, जिसमें कई यात्री घायल हो गए थे। इसके बावजूद न तो किसी पर सख्त कार्रवाई हुई और न ही चेकिंग अभियान तेज किया गया। प्रशासन की कार्रवाई केवल औपचारिक चालान तक सिमट कर रह गई है।
ट्रैक्टर-ट्रॉली और लोडर वाहन में भी सवारी
कई बार जनपद के साथ ही बाहरी क्षेत्रों में देखा गया है कि नियमों की अनदेखी दुखद हादसों का कारण बनी। असम हाईवे पर करीब तीन साल पहले पिकअप में सवार आधा दर्जन से अधिक लोगों की जान हादसे में चली गई थी। ट्रैक्टर ट्रॉली में सफर के दौरान हादसे होने पर भी कई लोग जान गंवा चुके हैं। इन हादसों के बाद भी सबक नहीं लिया गया है। खासकर धार्मिक स्थलों पर मेले या फिर वैवाहिक कार्यक्रमों में जाने के लिए ग्रामीण ट्रैक्टर ट्रॉली और लोडर वाहनों पर ही सफर करते हैं। इस पर भी अभी सख्ती नहीं हो सकी है।
लगातार मैजिक और टेंपो के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। बीते माह अभियान चलाया गया था। कई वाहन सीज किए गए। अब भी कार्रवाई चल रही है। चालकों को जागरूक भी किया जा रहा है- वीरेंद्र सिंह, एआरटीओ।
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