लखनऊः सरकारी अस्पतालों का खजाना साफ कर रहे लॉन्ड्री संचालक
8 से 10 हार्स पावर की मशीनें लगाकर दे रहे केवल दो-तीन हजार रुपये बिल
लखनऊ, अमृत विचार: शहर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में संचालित लॉन्ड्रियों के संचालक बड़ी-बड़ी मशीनों में बिजली की खपत कर अस्पतालों का खजाना साफ कर रहे हैं। 8 से 10 हार्स पावर की कई-कई मशीनें दिन भर चलाने के बाद भी महीने में बिजली के एवज में दो-तीन हजार रुपये ही भुगतान कर रहे हैं। शिकायत शासन तक पहुंचने पर अब अस्पताल प्रशासन लॉन्ड्रियों में मीटर लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
शहर के लोकबंधु, बलरामपुर, सिविल, अवंतीबाई (डफरिन) और रानी लक्ष्मीबाई महिला अस्पताल के अलावा दूसरे प्रमुख अस्पतालों में लॉन्ड्री संचालित हैं। कई वर्ष से चल रहीं इन लॉन्ड्री में बेड की चादरें, कंबल, तकिया कवर आदि कपड़े सैकड़ों की संख्या में धुले जाते हैं। राजाजीपुरम स्थित 110 बेड के रानी लक्ष्मीबाई महिला अस्पताल की लान्ड्री में 10 हॉर्सपॉवर की दो मोटर लगी हैं। यहां प्रतिदिन 150 से अधिक चादर और दूसरे कपड़े धुले जाते हैं। लान्ड्री संचालक बिजली के एवज में करीब 2 हजार रुपए ही अस्पताल प्रशासन को देता है।
776 बेड वाले बलरामपुर अस्पताल की लान्ड्री में 8 से 10 हॉर्सपॉवर की 10 मोटर लगी हैं। यहां प्रतिदिन 1000-1200 चादर, कंबल, तकिया, परदे आदि कपड़े धुले जाते हैं। लाॅन्ड्री संचालक अस्पताल प्रशासन को 80 यूनिट प्रतिदिन के हिसाब से बिजली का भुगतान कर रहा है। 300 बेड के लोकबंधु अस्पताल की लॉन्ड्री में भी 8 से 10 हॉर्सपॉवर की 3 से 4 मोटरें सुबह से शाम तक चलती हैं। यहां प्रतिदिन 500 से अधिक चादर, तकिया कवर, कंबल धुले जाते हैं।
अस्पताल की लॉन्ड्री में 2 मोटर लगी हैं। करीब 2 हजार रुपए बिल का भुगतान लॉन्ड्री संचालक की ओर से अस्पताल में प्रति माह जमा किया जाता है। लॉन्ड्री में मीटर लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
-डॉ. श्याम व्यास, सीएमएस आरएलबी अस्पताल
लॉन्ड्री में कई मोटरें लगी हैं। संचालक की ओर से अभी संभावित बिल जमा किया जा रहा है। लॉन्ड्री में मीटर लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
- डॉ. पवन कुमार, निदेशक बलरामपुर अस्पताल