रामपुर: रजा लाइब्रेरी के 250 साल पूरे; राज्यपाल बोलीं- 'हर पीढ़ी के लिए होते हैं पुस्तकालयों द्वारा प्रदान किए संसाधन'

रामपुर: रजा लाइब्रेरी के 250 साल पूरे; राज्यपाल बोलीं- 'हर पीढ़ी के लिए होते हैं पुस्तकालयों द्वारा प्रदान किए संसाधन'

रामपुर, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और रजा पुस्तकालय बोर्ड की अध्यक्ष आनंदी बेन पटेल ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि सोमवार को रजा पुस्तकालय अपनी स्थापना के 250 वर्ष पूर्ण कर रहा है। कहा कि पुस्तकालयों द्वारा प्रदान किए संसाधन और सुविधाएं हर पीढ़ी के लिए हैं, जो सीखने के लिए अवसर पैदा करते हैं। साक्षरता ओर शिक्षा का समर्थन करते हैं। नये विचारों और दृष्टिकोणों को आकार देने में मदद करते हैं जो एक रचानात्मक और अभिनव समाज की मुख्य विशेषताएं हैं। कलाकारों ने मंच पर केसरिया पधारो मारे देश की प्रस्तुत दी गई। इसके अलावा कलर्स ऑफ का जलवा बिखरा। 
 
रजा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के 250 वर्ष पूर्ण होने पर पुस्तकालय प्रांगण में सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन 3  से 7 अक्टूबर तक हुआ।  राज्यपाल ने कहा कि ढाई सौ साल का सफर तय कर रामपुर रजा पुस्तकालय  का ही नहीं बल्कि देश का भी गौरव बनकर उभरा है। राज्यपाल ने कहा कि पुस्तकालय की गौरवशाली यात्रा का उत्सव मनाने के लिए प्रत्येक दिन सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जो निश्चय ही नई पीढ़ियों के लिए ज्ञानवर्द्धक और प्रेरक है। 

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ज्ञान एवं संस्कृति के भंडार के रूप में पुस्तकालय समाज में एक भौतिक भूमिका,, मौलिक भूमिका निभाते हैं। उत्तर प्रदेश में भी पिछली पीढ़ियों द्वारा बनाये और संचित किये गये ग्राम का प्रमाणित रिकार्ड सुनिश्चत करने वाले रिकॉर्ड इस ऐतिहासिक पुस्तकालय में है जो वर्षों से भारतीय संस्कृति की विविधता को संरक्षित कर रहे हैं। रजा पुस्तकालय सांस्कृतिक विरासत का अद्वितीय खजाना,राज्य के नवाबों द्वारा निर्मित प्राच्य पाण्डुलिपियों के संग्रह का घर है। 

रजा पुस्तकालय दक्षिण एशिया के महत्वपूर्ण पुस्तकालयों में से एक है। यह भारत इस्लामिक शिक्षा और कला का खजाना है। ऑनलाइन राज्यपाल ने कहा कि आज के इस विशेष अवसर पर हमें यह प्रण लेना चाहिए, कि हम इस पुस्तकालय का अधिकतम उपयोग करें, पुस्तकों को पढ़ें और अपनी ज्ञान की सीमाओं को विस्तारित करें।आइये हम सब मिलकर रामपुर रजा पुस्तकालय को और अधिक समृद्ध और जीवन्त बनाने का प्रयास करें। 

रजा लाइब्रेरी के मंच पर कलाकारों ने उकेरी देश की संस्कृति

सोमवार को महोत्सव के अन्तिम दिन देर रात तक हुए समापन समारोह में भारत के विभिन्न प्रदेशों के पारम्परिक शास्त्रीय व लोक नृत्य का एक सुन्दर कार्यक्रम भारत के रंग शीर्षक से गीत नंद कुमार एवं ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस विशेष प्रस्तुति के माध्यम से भारत की विविधता में एकता को दर्शाया गया। स्वागत नृत्य जो राजस्थानी लोक परम्परा पर आधारित प्रस्तुत किया गया। 

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केसरिया पदारो मारे देश,उसके बाद तिरंगा, बिहु-असम लोक गीत, पंजाबी भांगड़ा, ऐगरी देवी (शास्त्रीय), लावणी-महाराष्ट्र लोक,डांडिया-गुजरात लोक, कालबेलिया-राजरथान लोक, भो-शंभो शिव (शास्त्रीय), सूफी, गंगा देवी (शास्त्रीय), गिद्दा और भांगड़ा-पंजाब लोक, नटेश कौतुवम-नृत्य के स्वामी (शास्त्रीय), कश्मीरी-कश्मीर लोक, घुमर-राजस्थान लोक, तिल्लाना- (पारंपरिक शास्त्रीय) महारास-यूपी लोक, फिनाले (शास्त्रीय, सारे जहां से अच्छा) सभी नृत्य रूप (शास्त्रीय और लोक) की प्रस्तुतियां देखकर श्रोता भावविभोर हो उठे। 

तालियों द्वारा कलाकारों का अभिवादन किया। भारत के रंग राकेश सांई बाबू तथा प्रिया श्री निवासन प्रसिद्ध भरतनाट्यम नर्तक द्वारा कोरियोग्राफ किया गया। इस अवसर पर निदेशक रजा पुस्तकालय डॉ. पुष्कर मिश्र  ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल  का अभिनंदन करते हुए उनके द्वारा सन्देश देने पर हार्दिक बधाई दी। इस अवसर पर अरुण कुमार, हिमांशु सिंह, सैयद तारिक अजहर, राजेश कुमार, सनम अली खां आदि मौजूद रहे। संचालन डॉ. रबाब ने किया। 

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