बढ़ीं चुनौतियां
ईरान व इजराइल के बीच छिड़े उग्र संघर्ष से पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया है। इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष के नए दौर के साथ बढ़ी भू-राजनीतिक चुनौतियों से सारी दुनिया में चिंता पैदा हो गई है। भारत की मुख्य चिंता संघर्ष का बढ़ना है। ईरान व इजराइल का मौजूदा संघर्ष भारत के लिए आर्थिक चुनौतियों का कारण बनेगा। भारत ने चिंता जताई है और सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है। पश्चिमी एशियाई देशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा भारत की प्राथिकता में शामिल है।
पश्चिमी एशिया में 90 लाख भारतीय हैं। पश्चिमी एशिया के अनिवासी भारतीय प्रति वर्ष लगभग 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर घर भेजते हैं जो देश के कुल धन-प्रेषण प्रवाह में 55 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रखता है। पश्चिम एशिया से आयातित तेल पर भारत की निर्भरता, मूल्य अस्थिरता और आपूर्ति व्यवधानों के प्रति उसे संवेदनशील बनाती है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है।
भारत का 40 प्रतिशत से अधिक तेल पश्चिम एशिया से आता है। पश्चिम एशिया में ऊर्जा संसाधनों के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं तथा आपूर्ति के लिये प्रतिस्पर्द्धा बढ़ सकती है, जिससे भारत के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करना अधिक कठिन हो जाएगा। भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार भारत को प्राप्त कुल प्रेषण का 82 प्रतिशत पश्चिम एशियाई देशों तथा यहां व्यापक रूप से संलग्न एवं सक्रिय संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूनाइटेड किंगडम से प्राप्त होता है।
गौरतलब है कि पश्चिमी एशिया वह क्षेत्र है जो सैन्यीकरण पर अत्यधिक निर्भर है और वैश्विक हथियारों के आयात में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। वैश्विक ऊर्जा उपभोग के लिए निष्कर्षण संसाधनों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता होने के बावजूद, पश्चिम एशिया विभिन्न संघर्षों के कारण बढ़ती अस्थिरता का सामना कर रहा है। ऐसे में तलाशना होगा कि वे कौन-से दृष्टिकोण हैं जिनके माध्यम से पश्चिम एशियाई संघर्ष को हल किया जा सकता है?
गाजा के खिलाफ इजराइल का हमला हमास को नष्ट करने और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के अपने घोषित मकसदों को अभी तक हासिल नहीं कर पाया है। ऐसे में फिलहाल कहना कठिन है कि पश्चिमी एशिया में कब और किन परिस्थितियों में शांति हो पाएगी। भारत हमेशा शांति की वकालत करता है और तटस्थ रुख रखता है। पश्चिमी एशिया में अशांति को लेकर भारत का जोर है कि पूरे मसले का हल संवाद और कूटनीति से ही निकाला जाए।