हस्त नक्षत्र और इन्द्र योग के संयोग में शुरू होंगे शारदीय नवरात्र, माता का आगमन डोली पर होगा, यहां जानें...कलश स्थापना मुहूर्त

हस्त नक्षत्र और इन्द्र योग के संयोग में शुरू होंगे शारदीय नवरात्र, माता का आगमन डोली पर होगा, यहां जानें...कलश स्थापना मुहूर्त

कानपुर, अमृत विचार। आश्विन मास में हर साल शारदीय नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्र 3 से 11 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की परंपरा है। इस बार 3 अक्टूबर, गुरुवार को जहां-जहां भी देवी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, वहां घट स्थापना भी जरूरी होगी। 

आश्विन माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार 3 अक्टूबर गुरुवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इसका समापन 11 अक्तूबर शुक्रवार को नवमी पर होगा। 

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वहीं 12 अक्टूबर को शनिवार दशहरा मनाया जाएगा। आश्विन माह के ये नौ दिन मां दुर्गा की पूजा को समर्पित है। इस अवधि में माता रानी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास और धन-धान्य में वृद्धि होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है। इससे देवी प्रसन्न होती हैं, और हर मनोकामना पूरी करती हैं। 

धार्मिक मान्यता के अनुसार कलश को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है। इसकी स्थापना करने से जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं। इस बार नवरात्रि के पहले दिन ऐन्द्र योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा। ऐसे में कलश स्थापना करना और भी शुभ माना जा रहा है। 

कलश स्थापना मुहूर्त 2024

पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है। पहला शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6 बजकर 2 मिनट से लेकर प्रातः काल 7 बजकर 7 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद नवरात्रि के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर के समय का है। यह मुहूर्त सुबह 11 बजकर 34 मिनट से लेकर दोपहर 12:21 तक रहेगा। इस दौरान भी कलश स्थापना कर सकते हैं। 

कलश स्थापना करने से पहले आप एक मिट्टी के पात्र को लें। फिर एक साफ थाली में थोड़ी सी मिट्टी को डाल दें। अब उसमें जौ के बीज को मिलाएं। इसके बाद इसे मिट्टी के पात्र में डाल दें, और पानी से छिड़काव करें। एक तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। फिर उसके ऊपरी भाग में मौली बांध लें।

अब कलश‌ में साफ जल के साथ उसमें थोड़ा गंगाजल भी मिला लें। फिर उसके ऊपर दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ पैसे रख दें। इसके बाद आप आम या अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रख दें।एक नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर मौली बांध दें।फिर इस नारियल को कलश के बीच में रख दें, और बाद में इसे पात्र के मध्य में स्थापित कर दें।इस दौरान माता रानी के मंत्रों का जाप करते रहें, इससे देवी प्रसन्न होती हैं।

माता का आगमन डोली पर

इस बार गुरुवार नवरात्र शुरू होने के कारण माता रानी का आगमन डोली पर  होगा। जब माता धरती पर डोली या पालकी में आती हैं तो इसे बहुत अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. दरअसल माता रानी का पालकी में आना चिंता का विषय बन सकता है. इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट,व्यापार में मंदी, हिंसा, देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने और प्राकृतिक आपदा के संकेत मिलते हैं।

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