शाहजहांपुर: विवाहिता की हत्या में दोषी पति और देवर को आजीवन कारावास
दहेज में बाइक नहीं मिलने पर ससुरालियों ने जला दिया था जिंदा
शाहजहांपुर, अमृत विचार। विवाहिता की जिंदा जलाकर हत्या किए जाने के मामले में कोर्ट ने दोष सिद्ध होने पर विवाहिता के पति देव सिंह और देवर रूम सिंह को आजीवन कारावास की सजा और 50-50 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर वर्ष 2001 में पुवायां के गांव नवलपुर में विवाहिता के साथ घटना को अंजाम दिया था।
फर्रुखाबाद के थाना शमशाबाद के गांव लतीफपुर सिंकदरपुर निवासी डॉ. संतोष कुमार कुशवाहा की तहरीर पर पुवायां थाने में सात जून 2001 को दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि चार वर्ष पहले उसकी बहन कुसुमा देवी की शादी पुवायां के गांव नवलपुर निवासी देव सिंह के साथ हुई थी। दिए गए दहेज से ससुराली संतुष्ट नहीं थे और दहेज में बाइक, फ्रिज, सिलाई मशीन, बीस हजार रुपये नकद की मांग को लेकर प्रताड़ित करने लगे। कुसुमा के पति देव सिंह व देवर रूम सिंह ने शादी में कलेवा के दौरान ही बाइक की मांग की थी। रिश्तेदारों आदि के समझाने पर बमुश्किल बहन की विदाई हुई। ससुराल पहुंचने पर बहन को प्रताड़ित किया जाने लगा। 27 मई 2001 को उसे सूचना मिली कि बहन कुसुमा को ससुराल वालों ने मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जलाकर मार डाला है। अगले दिन 28 मई को सुबह वह बहन की ससुराल पहुंचा तो पता चला कि बहन के शव का अंतिम संस्कार ससुराल वालों ने कर दिया और पुलिस में शिकायत करने पर उसे जान से मारने की धमकी दी, कहा कि हमारे आदमी पुवायां थाने तक लगे हुए हैं। तब वह पुवायां थाने न जाकर एसपी से मिला और उन्हें प्रार्थना पत्र देकर ससुरालियों पर कार्रवाई की मांग की। एसपी को दिए गए प्रार्थना पत्र के आधार पर पुवायां पुलिस ने सात जून को कुसुमा के पति देव सिंह, ससुर रामासरे, देवर रूम सिंह, सर्वेश व सास राजकुमारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, 304 बी, 201, 3/4 डीपी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की। विवेचना के उपरांत पुलिस ने आरोप पत्र कोर्ट में पेश कर दिए। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट दशम में मुकदमे की सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान और शासकीय अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा के तर्को को सुनने के बाद पत्रावली का अवलोकन कर न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने मृतका के पति देव सिंह व देवर रूम सिंह को हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा और 50-50 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। बाकी अभियुक्तों की मुकदमा विचारण के दौरान मृत्यु हो गई।