झांसी: रेगिंग से परेशान 9वीं की छात्रा ने हॉस्टल की रेलिंग से फंदा लगाकर दी जान, विद्यालय में मचा हडकंप, जानें क्या बोले परिजन
झांसी। बुंदेलखंड में झांसी के बरूआसागर स्थित नवोदय विद्यालय की नौंवी कक्षा की छात्रा अनुष्का पटेल (14) ने हॉस्टल की सीढ़ियों पर लगी रेलिंग के सहारे दुपट्टे से फांसी लगा ली है। छात्रा की मौत के बाद विद्यालय में हडकंप मच गया। विद्यालय के हॉस्टल में शनिवार देर रात हुई इस सनसनीखेज वारदात के बाद पुलिस और परिजनों को आनन फानन में सूचना दी गयी।
छात्रा के माता-पिता ने हॉस्टल की ही दो सीनियर छात्राओं पर उनकी पुत्री को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाये हैं। अनुष्का के पिता जयहिंद पटेल ने बताया कि उनकी बेटी कक्षा 4 से नवोदय विद्यालय में पढ़ रही थी। उसे दो सीनियर छात्राएं प्रियंका और खुशबू पिछले कुछ समय से काफी परेशान कर रहीं थीं उन्होंने उसने इस बारे में उन्हें बताया था। पिता ने कहा कि उन्होंने अनुष्का को ही समझाया लेकिन अनुष्का के चुप रहने से सीनियर छात्राओं का व्यवहार उसके प्रति और खराब हो गया और हालात यहां तक बिगड़े कि आज अनुष्का ने फांसी लगाकर अपनी जान ही ले ली।
घटना की जानकारी मिलते ही अपर जिलाधिकारी अरूण सिंह, पुलिस अधीक्षक-नगर (एसपी सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह , नवाबाद थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह पहुंचे और घटना के संबंध में विद्यालय प्रशासन से जानकारी जुटायी। एसपी सिटी ने बताया कि अनुष्का के शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। विद्यालय प्रशासन और परिजनों से बातकर प्रथम दृष्टया यह जानकारी हुई है कि अनुष्का की दो सीनियर छात्राओं से कुछ बहस हुई थी जिसको लेकर वह परेशान थी।
मामले की जांच करायी जायेगी, सबूत एकत्र किये जा रहे हैं और फील्ड यूनिट भी मौके पर है। यदि इस मामले में परिजनों की ओर से कोई तहरीर मिलती है तो प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने रेगिंग की बात को पूरी तरह से नकारते हुए कहा कि यह रैगिंग का मामला नहीं है क्योंकि छात्रा पिछले तीन साल से वहां रह रही थी। वह हॉस्टल में रहने आयी कोई नयी छात्रा नहीं थी लेकिन यह संभव है कि बच्चों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि हॉस्टलों में रहने वाले बच्चों की सुरक्षा का मामला एक गंभीर विषय है। अकसर ऐसे बच्चों के साथ हॉस्टल के ही सीनियर या साथी छात्रों द्वारा प्रताड़ित किये जाने के विषय कोई नये नहीं हैं लेकिन घटना विशेष के बाद स्थितियां फिर से सामान्य हो जाती है। किसी बच्चे का जीवन समाप्त हो जाता है और समस्या के स्थायी समाधान की ओर न विद्यालय प्रशासन, न पुलिस और न ही स्थानीय प्रशासन कोई बड़ी पहल करता है।
नवोदय विद्यालय में हुई इस घटना ने विद्यालयों और छात्रावासों में बच्चों की सतत काउंसलिंग की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है ताकि मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ना झेलते बच्चे का मददगार उसे सही समय पर मिल सके और एक जीवन समाप्त होने से बचाया जा सके।
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