बरेली: नर्सरी से जिंदगी में हरियाली...आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
कर्मचारी नगर के समीप पांच स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं कर रहीं नर्सरी
बरेली,अमृत विचार। चार वर्षों में नर्सरी के जरिये पांच स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 50 महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर परिवार का खर्च उठा रही हैं। पहले ये महिलाएं घरों में काम करती थीं, मगर अब पूरी तरह से नर्सरी के काम से जुड़ गई हैं।
समूह की महिलाएं कर्मचारी नगर के समीप छह बीघा भूमि में नर्सरी का काम कर रही हैं। यहां गेंदी, गेंदा, गजेनिया, डॉग फ्लावर, गुलाब, पत्थरचट्टा, एलोवेरा, शमी,अशोक, शो प्लांट, सब्जी और फलों की पौध तैयार की जाती है। पूजा स्वयं सहायता समूह की कोषाध्यक्ष रामवती के मुताबिक समूह की महिलाएं मिलकर नर्सरी का काम करती हैं।
ज्योति स्वयं समूह की अध्यक्ष आरती के अनुसार एक पौधा तैयार करने में पांच रुपये की लागत आती है। चार महीने में एक पौध तैयार होती है। यदि एक लाख की पौध तैयार करते हैं तो डेढ़ लाख का फायदा तय है। चार महीने में एक महिला को 25-30 हजार तक का फायदा हो जाता है। इस काम में महिलाओं के परिवार के सदस्य भी मदद करते हैं। पौधों को ठेलों के जरिये शहर के अंदर नर्सरी और गली-मोहल्लों में बेचा जाता है। दिल्ली जैसे दूसरे शहरों में भी तैयार पौध भेजी जाती है। सभी महिलाओं ने मिलकर एक मिनी ट्रक लिया है, जिससे पौध की डिलीवरी करना आसान हो गई है।
ऐसे तैयार होती है पौधे
पौध तैयार करने के लिए जून में तैयारी शुरू हो जाती है। गोबर आदि डालकर एक महीने के लिए खेत छोड़ दिया जाता है, फिर पॉली हाउस बनाया जाता है। इसके बाद बीज डाला जाता है। पौध तैयार होने पर उन्हें छोटे-छोटे पैकटों में रखा जाता है। सीजन के हिसाब से हर बार पौध बदल दी जाती है।