अयोध्या: हड़ताल के कारण बंद हैं न्याय मिलने के दरवाजे, प्रतिदिन 250 से ज्यादा मुकदमों की लगाई जाती है तारीख

अयोध्या: हड़ताल के कारण बंद हैं न्याय मिलने के दरवाजे, प्रतिदिन 250 से ज्यादा मुकदमों की लगाई जाती है तारीख
हड़ताल के कारण सोहावल तहसील में पसरा सन्नाटा

सोहावल/अयोध्या, अमृत विचार। तहसील के पांचों न्यायालय में सुनवाई पिछले महीनों से नहीं हो पा रही है। इनके दरवाजे बंद ही रहते हैं। फरियादी अपनी सुनवाई के लिए रोज आते हैं और तारीख लेकर चले जाते हैं। इन्हें तारीख पर तारीख मिलने के पीछे वजह अधिवक्ताओं की हड़ताल बताई जाती है। उपजिला अधिकारी, प्रशासनिक और न्यायिक के साथ तहसीलदार और दो नायब तहसीलदार की अदालतों में यहां सुनवाई होती है। औसतन एक न्यायालय पर प्रतिदिन 50 से ज्यादा मुकदमें सूचीबद्ध होते हैं, जिनसे जुड़े फरियादी रोज तहसील पहुंचते हैं, लेकिन सुनवाई होने की नौबत महीनों से नहीं आ रही है। गुरुवार को भी यही स्थित बनी रही। तारीख पर आने वाले वादी-प्रतिवादी अधिवक्ताओं की फीस और हर्जा खर्चा कर न्याय व्यवस्था को कोसते चले गए। 

हड़ताल की भेंट चढ़ रही इस न्याय व्यवस्था की बाबत अधिवक्ता संघ पूर्व अध्यक्ष सुधीर कुमार मिश्र कहते हैं अधिवक्ताओं का विरोध न्यायालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमित कार्य प्रणाली और निजी कर्मियों की दखलंदाजी को लेकर है। जब तक जिम्मेदार न्यायिक मजिस्ट्रेट उपजिला अधिकारी और तहसीलदार दोनों सकारात्मक रवैया नहीं अपनाते हड़ताल चलती रहेगी। तहसीलदार विनोद कुमार चौधरी ने कहा अधिवक्ताओं की हड़ताल का कोई औचित्य नहीं समझ में आता है। एक बार दोनों के बीच समन्वय बैठक हो गई। व्यवस्था में सुधार कराया गया फिर भी हड़ताल का प्रस्ताव रोज भेजा जा रहा है। 

हड़ताल से बेहाल होकर बोले फरियादी 
मंगलसी के हौसला यादव, रौनाही के इलियास, शकीलाबानों , यासीन अहमद, कोला के लाल मोहम्मद आदि कहते हैं वकील और न्यायालय के बीच आम आदमी पिस रहा है। साहब लोग शाम को तहसील आते हैं। बंद कमरों में अपना काम कर चले जाते हैं। गरीब की सुनवाई नहीं हो रही।

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