भारत के लिए क्वाड
वर्तमान में भारत वैश्विक राजनीति में प्रतीत होने वाले विरोधाभासों को संतुलित करने और विविध देशों के साथ साझेदारी बनाए रखने की क्षमता के साथ एक अच्छी स्थिति में है। भारत इस बात से अवगत है कि कोई भी अकेला देश क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से नहीं निपट सकता है और यह महसूस करता है कि चुनौतियों का समाधान करने के लिए संसाधनों और क्षमताओं को एक साथ लाना अनिवार्य होगा। इसलिए भारत ने मौजूदा कालखंड के तनावों और संघर्षों से घिरे विश्व के लिए साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर आस्ट्रेलिया, भारत, जापान एवं अमेरिका के चतुष्कोणीय गठजोड़ क्वाड का मिलकर साथ चलना मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया है।
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्वाड किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और संप्रभुता के सम्मान के लिए है। प्रधानमंत्री का परोक्ष रूप से इशारा चीन की ओर था। चीन का दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में कई देशों से विवाद है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है वहीं वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते हैं।
छठवीं क्वाड शिखर बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बैठक ऐसे समय हो रही है जब विश्व तनावों और संघर्षों से घिरा हुआ है। ऐसे में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर, क्वाड का मिलकर साथ चलना, पूरी मानवता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के नेताओं की बैठक के बाद संयुक्त रूप से जारी एक घोषणा पत्र में कहा गया कि चार देशों का यह समूह अच्छे मकसद से बनाया गया है और रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट है। क्वाड में शामिल देश एक नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मसलों के शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालने का समर्थन करते हैं।
स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिन्द प्रशांत क्षेत्र साझा प्राथमिकता और साझा प्रतिबद्धता है। 2007 में क्वाड की स्थापना और 2017 में इसके पुनरुत्थान के बाद से , क्वाड के भीतर भारत की भूमिका पर लगातार बहस चल रही है। यह स्वाभाविक है क्योंकि चीन के प्रति भी भारत का दृष्टिकोण सीमित संतुलन वाला है। क्वाड भारत को जरूरत पड़ने पर चीन पर दबाव बनाने में सक्षम बनाता है, साथ ही अपने उत्तरी पड़ोसी को एक परिकलित जोखिम से परे दुश्मनी करने से भी बचाता है। शिखर सम्मेलन भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव का सामूहिक उत्तर है।