जलवायु संकट का समाधान

जलवायु संकट का समाधान

दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्रकृति और जैव विविधता की हानि, प्रदूषण और कचरे के संकट का सामना कर रही है। ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता से तापमान वृद्धि तेज होगी। असामान्य मौसम हमारे जीवन एवं अर्थव्यवस्था पर कहर बरपा रहा है। जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए केवल प्रौद्योगिकी का उपयोग पर्याप्त नहीं होगा। जलवायु संकट से निपटने के लिए उपग्रहों एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का सहारा लेना होगा। संयुक्त राष्ट्र मौसम विज्ञान संगठन ने यह बात इस सदी में वैश्विक तापमान के पूर्व-औद्योगिक स्तर से तीन सेंटीग्रेड ऊपर पहुंचने की प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों की नवीन चेतावनियों के बीच कही है।

एआई पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में भूमिका निभा सकता है, जिसमें अधिक ऊर्जा कुशल इमारतों के डिजाइन से लेकर वनों की कटाई की निगरानी और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को अनुकूलित करना शामिल है।संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के डेविड जेन्सन कहते हैं कि एआई से तात्पर्य उन प्रणालियों या मशीनों से है, जो ऐसे कार्य करते हैं जिनके लिए आमतौर पर मानवीय बुद्धि की आवश्यकता होती है। एआई का उपयोग जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में योगदान दे सकता है।

एआई और मशीन लर्निंग के जरिए, पहले से ही मौसम पूर्वानुमान के विज्ञान में तेज, किफ़ायती व सुलभ क्रांति आ रही है। मौजूदा एआई प्रणालियों में ऐसे उपकरण शामिल हैं जो मौसम की भविष्यवाणी करते हैं। हिमखंडों पर नजर रखते हैं और प्रदूषण की पहचान करते हैं। विश्व आर्थिक मंच का कहना है कि एआई का उपयोग कृषि को बेहतर बनाने और इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। एआई जलवायु परिवर्तन से लड़ने में प्रणालियों में मदद कर रहा है, जिनमें समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण की पहचान करने वाली प्रणालियां भी शामिल हैं। 

दुनिया की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक जलवायु परिवर्तन से निपटना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 4 अरब लोग पहले ही जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों में रह रहे हैं। ऐसे में जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। उपग्रहों से मिलने वाले डेटा का इस्तेमाल जलवायु मॉडल को बेहतर बनाने, चरम मौसम की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में किया जाता है। डेटा से पता चलता है कि समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। पृथ्वी पर बर्फ़ की चादरों में तेज़ बदलाव हो रहे हैं। सतत विकास, जलवायु कार्रवाई व आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए आज लिए गए निर्णय बेहतर विश्व के निर्माण का मार्ग तय करेंगे। इसलिए जरूरी है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लाभ सभी को सुलभ हों।