किसानों के लिए बड़ा फैसला
किसानों के विकास और उनके सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। सरकार की प्राथमिकता में वित्तीय सुरक्षा, कौशल विकास, बाजार पहुंच और टिकाऊ कृषि पद्धतियां प्रदान करके किसानों के जीवन में सुधार करना शामिल है। सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में किसानों के हित में कई नीतियां लागू की हैं, जिनका उद्देश्य कृषि उत्पादकता और निर्यात को बढ़ाना है। इस दौरान बुनियादी ढांचे में तीन लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिसमें कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.7 प्रतिशत किया गया है। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजनाएं जारी रखने की मंजूरी दे दी है। किसानों की आय के संरक्षण की दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक असाधारण कदम है जिससे किसानों के कल्याण में काफी हद तक सहूलियत होने की आशा है।
किसानों की आय सरंक्षण के लिए पीएम-आशा में 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह अन्नदाता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। सरकार 22 अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी तय करती है। पीएम अन्नदाता आय संरक्षण अभियान एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना है। जानकारों के मुताबिक सरकार को इस बात का एहसास है कि यदि बाजार में कृषि उपज का मूल्य एमएसपी से कम है तो वैसी स्थिति में राज्य और केन्द्र सरकार को या तो इसे एमएसपी पर खरीदना चाहिए अथवा ऐसा तरीका अपनाना चाहिए, जिससे कि किसी अन्य व्यवस्था के जरिए किसानों को एमएसपी सुनिश्चित कर दी जाए। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने तीन उप-योजनाओं के साथ समग्र योजना पीएम-आशा को मंजूरी दी है।
मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य न्यूनतम भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट पायलट योजना (पीडीपीएस) इन उप-योजनाओं में शामिल हैं। इसके अलावा सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अनेक बाजार सुधारों को लागू किया गया है। इनमें मॉडल कृषि उपज एवं पशुधन विपणन अधिनियम, 2017 और मॉडल अनुबंध खेती एवं सेवा अधिनियम, 2018 भी शामिल हैं। अनेक राज्यों ने कानून के जरिए इन्हें अपनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। कहा जा सकता है कृषि नीतियां किसानों की समृद्धि और कल्याण को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं, जिससे देश में खाद्यान्न उत्पादन और निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।