बरेली : उलमा की अपील... नफरतों का जवाब फूलों से दें, कोहाड़ापीर से निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी

परंपरागत शानोशौकत के साथ कोहाड़ापीर से निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी, रंगबिरंगी पोशाकों में शामिल हुईं अंजुमनें

बरेली : उलमा की अपील... नफरतों का जवाब फूलों से दें, कोहाड़ापीर से निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी

बरेली, अमृत विचार। ईद मिलादुन्नबी पर जुलूस-ए-मोहम्मदी धूमधाम से निकला। कोहाड़ापीर से शुरू होकर दरगाह आला हजरत तक पहुंचे जुलूस में रंग-बिरंगे लिबासों में सैकड़ों अंजुमनों ने हिस्सा लिया। जुलूस शुरू होने से पहले कुरान की तिलावत की गई। मुफ्ती सलीम नूरी ने संदेश दिया कि मुसलमान अपने दिलों में मुल्क के प्रति सच्ची मोहब्बत रखें और नफरतों का जवाब फूलों से दें।

शहर में ईद मिलादुन्नबी पर सुबह से देर रात तक जश्न का माहौल रहा। शाम को कोहाड़पीर से अंजुमन खुद्दाम-ए-रसूल की ओर से शानओशौकत के साथ दरगाह आला हजरत के प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी की कयादत और सचिव सय्यद आसिफ मियां की निगरानी में जुलूस-ए-मोहम्मदी की शुरुआत हुई जो अपेन परंपरागत रास्ते कुतुबखाना, जिला अस्पताल, कुमार सिनेमा, दरगाह पहलवान साहब के मजार, नावल्टी चौराहा, राजकीय इंटर कॉलेज, करोलान और बिहारीपुर होते हुए दरगाह आला हजरत पहुंचकर खत्म हुआ।

कोहाड़ापीर पर जुलूस शुरू होने से पहले मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि हमारे नबी पूरी दुनिया में प्रेम और मानवता की अनूठी मिसाल हैं। पैगंबर-ए-इस्लाम ने नफरतों का जवाब फूलों से देने का पैगाम दिया है। उन्हें अपने देश से सच्ची मोहब्बत रखते हुए देश और मजहब के कानून पर सख्ती से कायम रहना है। दूसरे उलमा ने मुसलमानों से शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और अपनी बच्चियों के लिए स्कूल-कॉलेज खोलने की अपील की। कहा, रसूल ने भेदभाव खत्म कर सभी को बराबरी का दर्जा दिया है और जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद की। उलमा ने सभी लोगो से वक्त पर नमाज अदा करने की अपील की। मौलाना मोहम्मद अख्तर ने कहा कि अमन से रहना इस्लाम का एक हिस्सा है। इस्लाम को निशाना बनाना चंद लोगों की करतूत है।

सुब्हानी मियां ने सुबुर रजा को सौंपा परचम-ए-रिसालत
दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां ने सुबुर रजा को परचम-ए-रिसालत सौंपकर और हरी झंडी दिखाकर जुलूस रवाना किया। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि जुलूस का रास्ते में कई जगह फूलों से इस्तकबाल किया गया। रंग-बिरंगी पोशाक पगड़ी और जुब्बा पहने लोग अंजुमन की शक्ल में सरकार की आमद मरहबा-दिलदार की आमद मरहबा, खुशियां मनाओ आ गए सरकार जैसे नारों के साथ निकले। अंजुमनें तिरंगा भी लेकर पहुंची थीं। इससे पहले दरगाह आला हजरत पर सुब्हानी मियां के निवास पर कुरान ख्वानी से जश्न का आगाज हुआ। महफिल-ए-मिलाद के बाद उलमा ने नबी की अजमत बयान की।

दरगाह प्रमुख और सज्जादानशीन की हुई दस्तारबंदी
दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां के साथ सय्यद आसिफ मियां और सभी अंजुमनों के सदर की मंच पर अंजुमन खुद्दाम-ए-रसूल के सचिव शान अहमद रजा ने दस्तारबंदी कर फूलों से स्वागत किया। दरगाह के राशिद अली खान, शाहिद नूरी, अजमल नूरी, नासिर कुरैशी, हाजी जावेद खान, परवेज नूरी, ताहिर अल्वी,औरंगज़ेब नूरी और खुद्दाम-ए-रसूल के मोहसिन हसन खान, उवैस खान, आसिम नूरी, डॉ. अनीस बेग, डॉ. नफीस खान, अफजाल बेग, शारिक बरकाती आदि की दस्तारबंदी की। अंजुमन दारुल रजा मुस्तफा, अंजुमन गौसुल वरा, अंजुमन आशिकाने रजा, अंजुमन जानिसारने रसूल, अंजुम कुर्बान ए रसूल, अंजुमन रजा ए मिल्लत, अंजुमन फैज़ुल कुरान, अंजुमन लश्कर ए रजा, अंजुमन गुलशन ए रजा भी जुलूस में शामिल हुईं। डॉ. अनीस बेग ने जुलूस की व्यवस्था संभालने वाले वालंटियर्स की दस्तारबंदी की।