अमित शाह ने हिंदी दिवस की दी शुभकामनाएं, कहा- हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं, वे सखियां हैं

अमित शाह ने हिंदी दिवस की दी शुभकामनाएं, कहा- हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं, वे सखियां हैं

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि राजभाषा हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि वे सखियां हैं और एक-दूसरे की पूरक हैं। शाह ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संविधान सभा की भावना यह थी कि देश के सभी नागरिकों को एक-दूसरे के साथ किसी भारतीय भाषा में संवाद करना चाहिए, चाहे वह हिंदी हो, तमिल हो, तेलुगु हो, मलयालम हो या गुजराती हो।

उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘हिंदी को मजबूत करने से ये सभी भाषाएं भी लचीली एवं समृद्ध बनेंगी तथा एकीकरण किए जाने पर ये सभी भाषाएं हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य, व्याकरण और संस्कार को भी आगे ले जाएंगी।’’ गृहमंत्री ने कहा कि इस वर्ष हिंदी दिवस सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था और तब से 75 साल हो गए हैं तथा देश इस साल राजभाषा की हीरक जयंती मनाने जा रहा है। 

उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी ने 75 वर्ष में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं लेकिन इस मोड़ पर मैं निश्चित रूप से यह बात कह सकता हूं कि हिंदी की किसी स्थानीय भाषा से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है और वे एक-दूसरे की पूरक हैं। चाहे वह गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बांग्ला हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।’’ 

शाह ने कहा कि अगर हिंदी आंदोलन को गौर से देखा जाए तो चाहे वह चक्रवर्ती राजगोपालाचारी हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभभाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य जे बी कृपलानी हों, ये सभी गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों से आए थे। उन्होंने कहा कि एन गोपालस्वामी आयंगर और के एम मुंशी के नेतृत्व में गठित समिति ने हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने और हिंदी एवं हमारी सभी अन्य भाषाओं को मजबूती देने के लिए संविधान सभा को एक रिपोर्ट पेश की थी। शाह ने कहा, ‘‘ये दोनों नेता गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों से थे।’’ 

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्ष में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गर्व के साथ हिंदी में लोगों को संबोधित किया है और देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में हिंदी के महत्व को सामने रखा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने देश की भाषाओं के प्रति गौरव की भावना भी बढ़ाई है। इन 10 वर्ष में हमने कई भारतीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी प्रयास किए हैं।’’

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नयी शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने को महत्वपूर्ण स्थान देकर हिंदी और सभी भारतीय भाषाओं को नया जीवन दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन 10 साल में एक उपकरण ‘कंठस्थ’ विकसित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले 10 साल में संसदीय राजभाषा समिति की चार रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं और सरकारी कामकाज में हिंदी को प्रमुखता से स्थापित करने का काम किया है।’’ 

शाह ने कहा कि राजभाषा विभाग हिंदी से आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में अनुवाद के लिए एक पोर्टल भी ला रहा है, जिसके माध्यम से कृत्रिम मेधा का उपयोग करके बहुत ही कम समय में किसी भी पत्र या भाषण का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जा सकेगा। गृह मंत्री ने कहा कि इससे हिंदी और स्थानीय भाषाएं बहुत मजबूत होंगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी भाषाएं दुनिया की सबसे समृद्ध भाषाओं में से हैं। हिंदी हमें और हमारी सभी भाषाओं को जोड़ती है।’’ 

शाह ने सभी देशवासियों से अपील की कि वे हिंदी दिवस पर हिंदी एवं स्थानीय भाषाओं को मजबूत बनाने का संकल्प लें और राजभाषा विभाग के इस कार्य में सहयोग दें। इससे पहले, शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘समस्त देशवासियों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘सभी भारतीय भाषाएं हमारा गौरव भी हैं और विरासत भी, जिन्हें समृद्ध किये बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते। राजभाषा हिंदी का हर भारतीय भाषा के साथ अटूट रिश्ता है। इस साल हिंदी भाषा ने देश की राजभाषा के रूप में जनसंवाद व राष्ट्रीय एकता के 75 वर्ष पूरे किए हैं।’’ शाह ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि सभी भारतीय भाषाओं को एक साथ लेकर राजभाषा हिंदी विकसित भारत के संकल्प को चरितार्थ करने की दिशा में निरंतर अपना योगदान देती रहेगी।’’ 

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