संभल: मृत्योपरांत भी दुनिया देखती रहेंगी लक्ष्मी की आंखें
इच्छा अनुसार महिला की मृत्यु के बाद किया गया नेत्रदान
बबराला, अमृत विचार। नगर निवासी लक्ष्मी गुप्ता ने मृत्यु के बाद नेत्रदान कर औरों के लिए अनूठी मिसाल पेश की है। उनकी मृत्यु के बाद भी आंखें दुनिया देखती रहेंगी। उनके नेत्रदान से किसी नेत्रहीन को नई रोशनी मिलेगी। जिससे वह दुनिया को देख सकेगा।
मुनीम कॉलोनी निवासी श्रीपाल गुप्ता (अल्लैहपुर वाले) की 82 वर्षीया पत्नी लक्ष्मी गुप्ता का सोमवार को भोर में आकस्मिक निधन हो गया। लक्ष्मी गुप्ता ने जीवित रहते नेत्रदान की इच्छा जताई थी। उनके निधन के तुरंत बाद समधी जगदीश शरन की प्रेरणा से श्रीपाल गुप्ता ने मृत पत्नी की आंखें (कार्निया) दान करने की सहमति दे दी। आनन-फानन में मुरादाबाद के सीएल गुप्ता आई बैंक की हेल्पलाइन पर सूचना दी गई । वहां से आई नेत्र विभाग की टीम ने कागजी औपचारिकता पूरी कर लक्ष्मी गुप्ता के शरीर से दान की गई आंखें प्राप्त कीं। श्रीपाल गुप्ता का कहना है कि नेत्रदान ही मानव की सच्ची सेवा है।
मृत्यु के छह घंटे के दौरान किया जा सकता है नेत्रदान
कार्निया संरक्षित करने आई टीम के सदस्य दीपक कुमार ने बताया कि मृत्यु होने के छह घंटे के दौरान नेत्रदान किया जा सकता है। नेत्रदान से मिली दो कार्निया को अंधता के शिकार लोगों की आंखों में प्रत्यारोपण कर उनकी जिंदगी में रोशनी लौटाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि नेत्रदान के दौरान सिर्फ कॉर्निया निकाली जाती है, पूरी आंख नहीं निकाली जाती।
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