मुरादाबाद : हाई डिपेंडेंसी यूनिट का पता नहीं, बच्चा वार्ड में तीन नंबर फिक्स
स्वास्थ्य- जिला अस्पताल में अभी भी एचडीयू की बातें हवा-हवाई, प्रस्ताव पर भी महानिदेशालय से अभी नहीं मिली हरी झंडी
मुरादाबाद, अमृत विचार। हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) का अभी तक जिला अस्पताल में नामोनिशान नहीं है, लेकिन बच्चा वार्ड के हॉल नंबर-तीन को उसके लिए फिक्स कर दिया गया है। इस आरक्षित हॉल से बेड हटा लिए गए हैं और भर्ती बीमार बच्चों को अन्य हॉल में शिफ्ट किया गया है। वैसे एचडीयू बनाने की बातें करीब डेढ़-दो साल से हो रही हैं। अभी तक स्थिति ये है कि करीब ढाई-तीन महीने पहले अवर अभियंता ने प्रस्ताव बनाकर महानिदेशालय चिकित्सा एवं परिवार कल्याण सेवाएं को भेजा था। इस पर अभी तक महानिदेशालय की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही एचडीयू बनाने को कोई बजट मिला है। कुल मिलाकर अभी अस्पताल में एचडीयू की बातें हवा-हवाई ही हैं।
बच्चा वार्ड में हॉल समेत कुल छह कमरे हैं। इसमें कमरा नंबर-एक को स्टोर बना रखा है और छह नंबर में बच्चों की बजाय उम्र-दराज के रोगी भर्ती हो रहे हैं। तीन नंबर हॉल एचडीयू के लिए आरक्षित किया गया है। इस तरह देखा जाए तो बच्चा वार्ड के कुल छह कमरों-हॉल में से केवल दो बड़े का कमरे का प्रयोग बीमार बच्चों के भर्ती करने में किया जा रहा है। ऐसे में अव्यवस्था फैलना स्वाभाविक भी है। कभी-कभी तो एक बेड पर दो-दो बच्चों को लिटाना पड़ जाता है। प्रमुख अधीक्षक डॉ. संगीता गुप्ता कहती हैं कि हाई डिपेंडेंसी यूनिट के लिए एनएचएम से चार नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति हो गई है।
उनका कहना है कि पीडियाट्रिक हाई डिपेंडेंसी यूनिट अस्पताल में बीमार बच्चों के लिए स्पेशल होगी, जहां उन्हें 24 घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। उन्हें आईसीयू की जरूरत नहीं होगी, लेकिन साधारण वार्ड की अपेक्षा ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत होगी। लेकिन, अभी तक ये सिर्फ बातें ही हो रही है स्थिति स्पष्ट कब होगी, इस बारे में सीएमएस को भी कुछ स्पष्ट नहीं पता है। उन्होंने बताया कि बच्चा वार्ड में बनने वाली हाई डिपेंडेंसी यूनिट के लिए आरक्षित किए गए हॉल नंबर तीन में प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन की सप्लाई देने की व्यवस्था रहेगी। इस कार्य को पूरा कराने के लिए महानिदेशालय से बजट मांगा गया है। बजट मिलने के बाद उसमें कार्य कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एचडीयू में वेंटिलेंटर की जरूरत नहीं होगी, लेकिन ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना होगा। इसके अलावा हार्टबीट, पल्स, बीपी आदि छोटी-छोटी निगरानी के लिए उपकरण लगाए जाएंगे। वार्ड में शीशे के दरवाजे होंगे और इसे वातानुकूलित बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि एचडीयू में सिर्फ बाल रोगी की मां को जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा यदि किसी को बीमार बच्चे से मिलना है तो उन्हें कैप, मास्क, शूज व अन्य नियमों का पालन करते हुए प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस यूनिट के शुरू होने में अभी समय लगेगा। चूंकि नीट-पीजी में सफल होने वाले अभ्यर्थियों में दो अभ्यर्थी इस यूनिट की देखभाल को आने हैं और नीट-पीजी का परिणाम अभी फाइनल नहीं है।
अभी नहीं आए हैं उपकरण
प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संगीता गुप्ता ने बताया कि एचडीयू के लिए रूपरेखा बनाकर महानिदेशालय गई है। इसमें कई तरह के उपकरण की भी आवश्यकता जताई गई है। उन्होंने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी को प्रशिक्षित किया जाएगा। अभी दो बाल रोग विशेषज्ञ हैं। इनमें एक तो वह खुद डॉ. राजेंद्र कुमार और दूसरे डॉ. एके सिंह हैं। जूनियर डॉक्टर की जरूरत है।
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