UP 69000 Teacher Vacancy: हाई कोर्ट के आदेश पर चयनित शिक्षकों का प्रदर्शन, कहा- कार्यरत अध्यापकों के साथ हो रहा अन्याय
अमृत विचार, लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती का मामला एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है। राजधानी लखनऊ के महानगर स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय में गुरुवार को 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित शिक्षकों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। हाई कोर्ट की ओर से मौजूदा मेरिट सूची को रद्द कर दिया गया है। कोर्ट ने योगी सरकार से आरक्षण का पालन करते हुए नई मेरिट सूची जारी करने का आदेश दिया है। ऐसे में हजारों कार्यरत शिक्षकों पर नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है। इसको लेकर हजारों की संख्या में चयनित शिक्षक बेसिक शिक्षा निदेशालय में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
लखनऊ
— Amrit Vichar (@AmritVichar) August 22, 2024
महानगर स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय में गुरुवार को 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित शिक्षकों ने आंदोलन शुरू
कोर्ट ने योगी सरकार से आरक्षण का पालन करते हुए नई मेरिट सूची जारी करने का आदेश दिया #69000_शिक्षकभर्ती_आरक्षण_मामला #Lucknow #UttarPradesh pic.twitter.com/chzxMBO3Zi
प्रदर्शन कर रहे कार्यरत शिक्षक अंकित सिंह, दिग्विजय सिंह, रॉबिन सिंह, सर्वेश प्रताप, निखिल पांडेय आदि का कहना है कि बिना सुप्रीम कोर्ट का मार्गदर्शन लिए चयनित सूची को प्रभावित न किया जाए। उन्होंने कहा कि चयन सूची बदलने से न केवल सामान्य बल्कि ओबीसी और SC-ST शिक्षकों का भी जिला परिवर्तित एवं वरिष्ठता प्रभावित हो जायेगी। उनकी मांग है कि किसी भी चयनित के साथ अन्याय न किया जाए। यह भी देख लिया जाए कि हाई कोर्ट के डबल बेंच के आदेश के अनुपालन में SC के विभिन्न निर्देशों का अनुपालन करने में पुनः कोई त्रुटि न हो जाए। उन्होंने आगे कहा कि चार वर्ष से कार्यरत शिक्षकों को सुरक्षित रखते हुए नए आने वाले अध्यापकों को समायोजित किया जाए, न कि सेवारत अध्यापकों को हटा कर बाद में उनका समायोजन किया जाए। इसके अलावा किसी भी दृष्टि से मेधावी श्रेणी में गैर मेधावी का चयन न किया जाए अर्थात अनारक्षित के 50 फीसदी पूल को पूर्णतः मेरिटोरियस से भरा जाए चाहे वह किसी भी वर्ग से हो।
चयनित शिक्षकों का कहना है कि उनमें से हजारों पूर्व में विभिन्न सरकारी पदों पर कार्यरत थे, सरकार के बिना SC के मार्गदर्शन के बिना इस सूची को परिवर्तित करने से जिस सूची को बनाने में उनका कोई दोष नहीं है। उनके साथ आजीविका के अधिकार का हनन होगा। साथ ही समाज का सरकारी भर्तियों से विश्वास उठ जायेगा। सहायक अध्यापकों का कहना है कि समाज में फैले हुए नकारात्मक नैरेटिव का मुख्य कारण यह है कि वे उस समय विद्यालयों में बच्चों को पढ़ा रहे थे जब आरक्षित वर्ग के लोग समाज के समक्ष अपनी बात रख रहे थे। सहायक अध्यापकों को भी अब रोड पर आकर अपनी बात कहना पड़ रहा है।
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