बरेली : डॉक्टरों ने हड़ताल कर भरी वी वान्ट जस्टिस की हुंकार, निकाला मार्च
कोलकाता में जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना के विरोध में आईएमए की अगुवाई में जुटे डॉक्टर

बरेली, अमृत विचार। कोलकाता में जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की अगुवाई में शनिवार को निजी डॉक्टरों ने हड़ताल कर वी वान्ट जस्टिस की हुंकार भरते हुए रोड मार्च निकाला। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नया कानून बनाने समेत कई मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। जिले भर में निजी डॉक्टर हड़ताल पर रहे और ओपीडी का संचालन पूरी तरह से बंद रहा।
एक दिन पहले आईएमए ने हड़ताल का एलान किया था। जिसका असर शनिवार को नजर आया। शहर के निजी अस्पतालों में सुबह 6 बजे ही ओपीडी कक्षों में ताला लटका नजर आया। सुबह 7 बजे से ही आईएमए भवन में डॉक्टर एकत्र होने लगे। जहां से दोपहर 3 बजे 250 से अधिक डॉक्टरों ने वी वान्ट जस्टिस के नारे के साथ रोड मार्च शुरू किया। कलेक्ट्रेट में विभिन्न मांगों के संबंध में प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी रविंद्र कुमार का सौंपा साथ ही आईएमए केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर बरेली में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने तीन सूत्रीय 1 ज्ञापन वन एवं पर्यावरण मंत्री को डॉ अरुण कुमार को भी दिया गया।
इस दौरान अध्यक्ष डॉ. राजीव गोयल, सचिव डॉ. गौरव गर्ग, कोषाध्यक्ष डॉ. निकुंज गोपल, डॉ. आईएस तोमर, वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना, डॉ. अतुल अग्रवाल, डॉ. सुदीप सरन, डॉ सुशोभित वर्मा, डॉ. धर्मेंद्र नाथ डॉ. विनोद पगरानी, डॉ. प्रमेन्द्र माहेश्वरी, डॉ. रितु राजीव, डॉ. दीपिका गर्ग, डॉ. मोनिका गर्ग, डॉ. स्मिता गुप्ता, डॉ. लता गुप्ता, डॉ. नीरा अग्रवाल, डॉ. शालिनी अरोरा, डॉ. राजकुमारी मित्तल, डॉ. श्रद्धा, डॉ. रूचि श्रीवास्तव, डॉ. आशु हिरानी, डॉ. सचिन अग्रवाल, डॉ मोहित जिंदल, डॉ. अजय भारती, डॉ अतुल श्रीवास्तव, डॉ. एसपी अग्रवाल, डॉ. एम के मेहरोत्रा, डॉ. पुलकित अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
आईएमए ने ये रखी मांगें
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नया कानून बनाया जाए और उसे लागू किया जाए, कानूनों में चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा या उत्पीड़न करने वालों पर गंभीर दंड की व्यवस्था हो, पूरे देश में सभी अस्पतालों को स्वास्थ्य सुरक्षा क्षेत्र घोषित किया जाए, डॉक्टरों और कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा और धमकी पर तत्काल कार्रवाई हो, राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) को देश के किसी भी इलाके में काम कर रहे मेडिकल छात्रों को सुरक्षा से संबंधित नियमों को लागू करने का अधिकार दिया जाए।