प्रदेश के निजी पॉलिटेक्निक और फार्मेसी कॉलेज के संचालकों ने किया प्रदर्शन

संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद व प्राविधिक शिक्षा परिषद सचिव को सौंपा आठ सूत्रीय मांग पत्र

प्रदेश के निजी पॉलिटेक्निक और फार्मेसी कॉलेज के संचालकों ने किया प्रदर्शन

लखनऊ/प्रतापगढ़, अमृत विचार। प्रदेश के सभी जनपदों से निजी पॉलिटेक्निक और फार्मेसी कॉलेज के संचालक एकजुट होकर सोमवार को लखनऊ पहुंचे। बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन पहुंचकर आठ सूत्रीय मांगे संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद व प्राविधिक शिक्षा परिषद सचिव को सौंपा। कॉलेज संचालकों ने प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाते हुए प्रवेश परीक्षा में शामिल होनें वाले एवं सीधे प्रवेश की व्यवस्था शुरू कराये जाने की मांग की है।

कॉलेज संचालकों ने कहा कि प्राविधिक शिक्षा में सुधार के नाम पर 31 अगस्त 2022 के शासनादेश को अचानक से अभिक्रमित करते हुए शासनादेश 26 जून 2023 लागू किया गया। जिसके तहत “संयुक्त काउंसलिंग” प्रक्रिया जिसमें प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित एवं प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित न होने वाले अभ्यर्थियों के लिए प्रवेश की व्यवस्था थी, उसे खत्म कर दिया गया। सिर्फ प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित उत्तर प्रदेश के सभी अभ्यर्थियों के साथ-साथ प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित अन्य राज्य के अभ्यर्थियों हेतु प्रवेश खोला गया।

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प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित न होने वाले अभ्यर्थियों के प्रवेश के सारे माध्यम बंद कर दिए गए। जिसके कारण सत्र 2023-24 में प्राविधिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध सभी संस्थानों में मात्र 30 फीसदी ही प्रवेश हो सके हैं, प्रदेश की शेष 70 फीसदी सीटें रिक्त रह गई। इस सत्र में ( 2024 -25) में भी उपरोक्त शासनादेश के ही आंशिक परिवर्तित स्वरूप को ही शासनादेश 29 दिसम्बर 2023 के रूप मे लागू किया गया, जिसके तहत पुनः प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित उत्तर प्रदेश के सभी अभ्यर्थियों के साथ-साथ प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित अन्य राज्य के अभ्यर्थियों हेतु प्रवेश खोल गया, परंतु काउंसिलिंग के उपरांत रिक्त बची सीटों को भरने के लिए प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित न होने वाले अभ्यर्थियों के प्रवेश के सारे माध्यम बंद कर दिए।

काउंसिलिंग के कई चरण बीत जाने के बावजूद प्राविधिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध डिप्लोमा इंजीनियरिंग की कुल 164748 सीटों एवं डिप्लोमा फार्मेसी की 136452 सीटों के सापेक्ष डिप्लोमा इंजीनियरिंग की मात्र 20 से 25 फीसदी सीटें ही भरी हैं। इस वर्ष भी आशंका हैं कि मात्र 35 - 40 फीसदी सीटें ही भर पाएगी, शेष 60-65 फीसदी सीटें पुनः रिक्त हो जाएंगी। सरकारी एवं अनुदानित संस्थाओ की निधारित फीस कम होने कारण जल्द भर जाती हैं,लेकिन निजी संस्थानों में ऐसा नहीं हो पाता हैं।

अतः काउंसिलिंग के कई चरण गुजर जाने के बाद प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित अभ्यार्थी पूर्णतः नहीं मिल पाते हैं। जिसके कारण अधिकतर सीटें रिक्त रह जाती हैं। जिसे शासनादेश 26 जून 2023 एवं 29 दिसम्बर 2023 से पूर्व के शासनादेश 31 अगस्त 2022 में वर्णित प्रक्रिया संयुक्त काउंसलिंग ( प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित एवं प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित न होने वाले अभ्यर्थियों हेतु) द्वारा भर दिया जाता था।

पिछले दो सत्रों से प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित संस्थाओ की 60 से 70 फीसदी सीटें व्यर्थ हो जा रही हैं। जिसकी गुहार लगाने के लिए यूपी प्राइवेट डिप्लोमा इंजीनियरिंग एंड फार्मेसी एसोसिएशन के सभी सदस्य इकट्ठा होकर सचिव को अपनी 8 सूत्रीय मांग रखी। इस दौरान यूपी प्राइवेट डिप्लोमा इंजीनियरिंग एंड फार्मेसी एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र, उपाध्यक्ष मनीष कुमार,आकाश, रंजीत शर्मा,जनेंद्र प्रताप सिंह,वीरेश यादव,विपुल शुक्ल,रंजन सिंह सहित विभिन्न जनपदों के कालेज संचालक मौजूद रहे।

निजी पॉलीटेक्निक एवं फार्मेसी कालेज की प्रमुख मांगे
  1.    पूर्व के शाशनादेश 31 अगस्त 2022 के अनुरूप  संयुक्त काउंसलिंग (प्रवेश परीक्षा मे समल्लित तथा प्रवेश परीक्षा मे सम्मलित न होने वाले अभ्यर्थियों ) का प्रोविज़न बनाते/ बनवाते हुए सीधे प्रवेश की प्रक्रिया को पुनः स्थापित किया जाय।
    2.    लेटरल एंट्री की सीटों को 10 फीसदी से बढाकर द्वितीय वर्ष में प्रथम वर्ष के रिक्त या बचे हुए सीटों के सापेक्ष प्रवेश भरने का प्रावधान बनाना चाहिए(AKTU मे ऐसा प्रावधान हैं) ताकि संस्थान का संसाधन व्यर्थ ना जाए।
    3.    काउंसिलिंग के माध्यम से जमा की गई फीस 2-3 कार्य दिवस में, संस्थान को वापस मिले 
    4.    बढ़ी हुई संबद्धता फीस वापस हो, तथा पुरानी संबद्धता फीस ही लागू हो।
    5.    संस्थान यदि एक बार एफिलिएट हो गए तो,  उनकी एफलियेशन पर्मानेंट होनी चाहिए, पुराने सम्बद्ध संस्थानों से हर साल संबद्धता शुल्क लेना न्यायोचित नहीं हैं,  कृपया इस पर विचार हो ।
    6.    आपके पत्रांक संख्या प्राशिप/परिषद/ 2012/3471, 02 अगस्त 2024 उल्लेखित इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम हेतु निर्धारित शुल्क  रु. 25000/ + जी.एस.टी. प्रति पाठ्यक्रम हैं, जबकि URISE पोर्टल रु. 25000/- + जी0एस0टी0 प्रति शाखा कैलकुलेट कर रहा हैं, अतः उसे URISE पोर्टल निर्धारित समय से ठीक करावे या पुरानी DD की व्यवस्था पुरानी फीस के साथ ही जारी करे| 
    7.    सभी पाठ्यक्रम अर्थात इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम एवं फार्मेसी पाठ्यक्रम की संबद्धता शुल्क एक समान ही रखी जाय।
    8.    वर्किंग प्रोफेशनल के लिए भी कोर्स अतिशीघ्र प्रारंभ किया जाय।

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